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कोरोना काल में भोजपुरी साहित्यिक मंच कि गतिविधियां लगभग बंद है। फिर भी साहित्यकार बंधु सोशल प्लेटफार्म का उपयोग कर साहित्यिक गतिविधियों को जारी रखे हैं। विभिन्न संगठन ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसी क्रम में भोजपुरी साहित्यिक मंच ने १८ जुलाई को अपने पेज पर भोजपुरी फाउंडेशन के सहयोग से राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन आयोजित किया । जिसमें देश के कोने – कोने से कवियों ने भाग लिया ।भोजपुरी साहित्यिक मंच के अध्यक्ष महेंद्र पाण्डेय ने सभी का अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड से मनोज कुमार अग्रवाल महाप्रबंधक, सी सी एल उपस्थित थे तो विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड से ही लखन सिंह भोजपुरिया सम्राट।मनोज अग्रवाल ने सलिल भोजपुरी को जन जन तक पहुँचाने की बात कही तो लाखन सिंह ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिये सरकार पर दबाव बनाने की बात कही। कवि सम्मेलन का संचालन हास्य व्यंग्य के कवि शिक्षक दिलीप पाण्डेय (पैनाली)ने किया ।
तिनसुकिया की कवियित्री माया चौबे के सरस्वती वंदना से काव्यपाठ का शुभारंभ किया गया। और उसके बाद उन्होंने ‘मन का कोना में तोहके बसा लिहनी’ कविता पाठ कर सबका मन मोह लिया। बिहार के आरा के अजय सिंह की कविता ‘तेल महंगा बिकाई कतनो इतर ना होई’ लोगों ने खूब पसंद किया। छपरा के प्रिंस ओझा की कविता ‘गँउआ ज्वार बबुआ कबो मत भूलइह’ और गाजियाबाद के संजय ओझा की हास्य व्यंग्य की कविता ‘अइसन हमार वाईफ होखे’ ने खूब वाह वाही बटोरा। बेतिया के कवि नवल प्रसाद उपस्थित थे। अंत में इस कवि सम्मेलन के संचालक दिलीप पाण्डेय(पैनाली) ने “गलती पर आजी के कइल दाँव दाँव रे, मन पड़े बरगद आ पीपरा के छाँव रे” सुनाकर सबको गाँव में पहुँचा दिया। कवि सम्मेलन का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।