हिन्दीभाषी संगठनों के साथ मुख्यमंत्री ने की बैठक
प्रे.सं.शिलचर, १९ सितम्बर : असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि चाय बागान मैनेजमेन्ट जो सेलरी नहीं दे रहा है, उस पर ध्यान दूंगा। बागान का सरप्लस लैण्ड सर्वे कराके उसका भी ध्यान दूंगा। ये हमारी नीति है। जनगणना भारत सरकार का काम है, प्रदेश सरकार के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। आप लोगों के समाज को इसके लिए लग जाना चाहिए कि जनगणना में अपना मातृभाषा लिखाए। उन्होंने कहा कि टी गार्डेन तो क्लाज ६ में है ही समस्या तब आता है जब कास्ट माइल आता है तो जो २०० साल पहले आए और जो अभी आए उनका टाइटल एक है। इसलिए सब समय समस्या है। इसका समाधान आपको करना है। भाषा के अनुसार आरक्षण नहीं होता, जाति के अनुसार होता है। हिन्दीभाषी इस देश में सभी हैं, मैं भी हूँ क्योंकि हिन्दी पूरे देश की भाषा है। यहाँ बागान में ओबीसी भी हैं, एससी भी है। ब्रह्मपुत्र में सभी ओबीसी हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पिछड़े होने का कारण है, हम लोग भाषा को लेकर झगड़ते हैं। चाय बागान को लेकर जो समस्या है, उसका समाधानक रना है, लेकिन पहले हिन्दीभाषी और चाय श्रमिक को अलग करना होगा। चाय बागान की जाति निर्धारित करके उसे जो ओबीसी है, उसमें जो ओबीसी है, उसे ओबीसी। जो एस ही, उसे एससी और जो दोनों में नहीं है, उसे टी वेलफेयर बोर्ड से सुविधा मिलेगी। चाय बागान वासी को डिफरेन्सिएट कैसे करना है, पीएफ नंबर से या किसी और माध्यम से, ये आपलोग तय कीजिए। मेडिकल कोटा के लिए जो टी-एक्सटी सर्टिफिकेट है, उसका वैल्यू नही है, क्योंकि इसके लिए लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। हम ओबीसी को कैटेगराइज करने की योजना बना रहे हैं। इसे ४ कैटेगरी करना है। आर्थिक आधार या सामाजिक आधार पर ? मेडिकल कोटा केवल ओबीसी के लिए है, ये एससी को भी नहीं मिलेगा, जनरल को भी नहीं मिलेगा। १५ + ५ कोटा हो जाएगा। एपीएससी में लैंग्वेज (भाषा) पेपर हटाएंगे, अगर आप लोग हिन्दी में लिखना चाहते हैं तो वो भी कर देंगे। मुख्यमंत्री ने बड़ी सुंदर बात कही कि भाषा सब सीखना चाहिए, हमको हिन्दी तो आपको असमिया। चाय बागान की जाति की सूची बना दीजिए, उसे पीएफ से अटैच करेंगे। २०२३ से पहले चाय बागान में पेयजल होगा। भूमिहीन लोगों को ५०० रुपये में मियादी पट्टा दिया जाएगा। सर्टिफिकेशन एजेन्सी हम बनाएंगे। बराकवैली में कौन देगा, आप बताइए?
उपरोक्त बातें डीसी के सभागार में असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने कुछ प्रमुख हिन्दीभाषी संगठनों के प्रतिनिधियों से एक विशेष बैठक में कही।
इसके पश्चात बराक चाय श्रमिक युनियन की तरफ से लखीपुर के पूर्व विधायक राजदीप ग्वाला ने मुख्यमंत्री को बताया कि बराक चाय श्रमिक की मजदूरी १८३ रुपये है। बहुत सारे बागानों ने अभी तक नहीं दिया जो २२ फरवरी से २०२१ से लागू होना था, किन्तु एरियर लोग देना नहीं चाहते। पीएफ काटते हैं, लेकिन जमा नहीं करते, जबकि पीएफ डिपार्टमेन्ट बहुत सारा पैसा इकट्ठा हो जाता है, तब वे एक्शन शुरु करते हैं। ऐसे में बहुत सारे बागान जो पीएफ से अटैच हैं उनकी हालत ठीक नहीं है। मैनेजमेन्ट भाग जाता है, ग्रेच्युटी भी नहीं मिलेगी। कमजोर चाय बागान जमीन बेच रहा है। अवैध अतिक्रमण हो रहा है। पूर्व राज्यमंत्री अजीत सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा कि सेटेलमेन्ट में चाय श्रमिकों का नाम नहीं जाता, बाहरी (मुस्लिम) लोगों को पटवारी और अधिकारी पैसा खाकर एलाट करवा देते हैं। चाय बागान सिलिंग सरप्लस लैण्ड में रिटायर्ड श्रमिकों के लिए घर बनाया जाय। हायर सेकेण्डरी नहीं है, कालेज भी नहीं है। जो स्कूल है, बहुतों का प्रादेशिकीकरण नहीं हो रहा है। हेल्थ सेन्टर में कहीं एम्बुलेन्स नहीं है, कहीं नर्स नहीं है, डाक्टर नहीं है, कहीं-कहीं पानी की भी समस्या है। हिन्दीभाषी चाय जनसमुदाय मंच के अध्यक्ष उदयशंकर गोस्वामी ने कहा कि मातृभाषा ठीक किया जाय, हिन्दी क्षेत्र में हिन्दी स्कूल खोला जाय। हिन्दीभाषी चाय जनसमुदाय मंच की तरफ से अवधेश कुमार सिंह ने सीएम को बताया कि चाय बागान के अधिकांश लोग भूमिहीन हैं बागान की जमीन प्राथमिकता के आधार पर बागान के लोगों को दी जा। चाय बागान इलाका के सभी हायर सेकेण्डरी स्कूल का प्रादेशीकीकरण किया जाय।
हिन्दीभाषी समन्वय की तरफ से दिलीप कुमार ने कहा कि पिछली सरकार में स्पीकर इनीसिएटिव में कई प्रस्ताव लिये गये थे, जैसे चाय मंत्रालय, लेबर इम्प्लीमेन्टेशन एक्ट किन्तु उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जनगणना कर्मी हिन्दीभाषियों की मातृभाषा सही नहीं लिखते, इसलिए हिन्दीभाषी जनसंख्या कम दिखाई पड़ती है। चाय बागान में भूमि अतिक्रमण रोका जाय, चाय जनगोष्ठी के उन्नति के लिए चाय श्रमिक उन्नयन परिषद का गठन किया जाय। सनातन मिश्र ने कहा कि १९७५ में चाय श्रमिकों की कास्ट लिस्ट बनी थी। उसमें १०८ जातियाँ छूट गयी थी। इसके लिए तबसे हमलोग प्रयास कर रहे हैं, अभी तक नहीं हुआ। चाय श्रमिक नेता रवि नुनिया ने कहा कि मॉडल हाईस्कूल के साथ एमई स्कूल को जोड़ा जाय तभी स्कूल चलेगा और हायर सेकेण्डरी तक जाएगा। चाय बागान में उच्च शिक्षा प्राप्त छात्र बहुत कम हैं। वे लोग कम्पटीट नहीं कर पाते, उनके लिए कुछ करना चाहिए। बाबुल नारायण कानु ने कहा कि बागान क्षेत्र के विद्यालयों में हिन्दीशिक्षकों की नियुक्ति, खाली हिन्दी अध्यापकों के पदों की भर्ती की जाय, लोक सेवा आयोग में हिन्दी को भी शामिल किया जाय, हिन्दी भवन को ५० लाख रुपया दिया जाय। व्यवसायी व समाजसेवी मुलचंद वैद ने मातंगिनी हिन्दी विद्यालय को मदद करने का मुद्दा उठाया। चाय युवा कल्याण समिति की तरफ से प्रेमराज ग्वाला ने कहा कि चाय बागान छात्रावास के लिए सहायता और मेडिकल कोटा का समाधान किया जाय। मणिपुर में हाईस्कूल व श्रमिकों को जानवर की तरह गाड़ी में न ले जाया जाय। हिन्दीभाषी चाय जनसमुदाय मंच के महासचिव कंचन सिंह ने कहा कि चाय जनगोष्ठी की जनसंख्या वैरिफाई किया जाय, डोर टु डोर सर्वे किया जाय। हिन्दी माध्यम के विद्यालयों का माध्यम बदल दिया गया, बदल रहे हैं। जो हिन्दी में पढ़ना चाहते हैं, वे वंचित हो रहे हैं। टी इंडस्ट्री के लिए एक स्पेशल पैकेज दिया जाय।
उपरोक्त बैठक में उपस्थित मंत्री परिमल शुक्ल वैद, राजदीप ग्वाला, पल्लव लोचन दास, कृपानाथ मल्लाह, कौशिक राय, दीपायन चक्रवर्ती, मिहिर कांति सोम, आईजी अनुराग अग्रवाल, डीसी श्रीमती कीर्ति जल्ली, एसपी रमन दीप कौर इत्यादि के अलावा अजीत सिंह, परमेश्वर लाल काबरा, उदयशंकर गोस्वामी, अवधेश सिंह, मुलचंद वैद, डॉ. रंजन सिंह, दिलीप कुमार, दुर्गेश कुर्मी, बाबुल नाराय कानु, रवि नुनिया, अपर्णा तिवारी, राधेश्याम उपाध्याय, सनातन मिश्रा, प्रेमराज ग्ला, सुरेश बड़ाइक, खिरोद कर्मकार, डॉ. रीता सिंह, दीपक प्रजापति, सुदीप ग्वाला, चंद्रजीत नुनिया, कंचन सिंह, विप्लव राय, मनोज शाह, लक्ष्मीनिवास कलवार, सुनीता मल्लाह तथा टी एंड एक्सटी के सदस्यगण मौजूद थे।