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भारत-बांग्लादेश सीमा पार गौ तस्करी, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। इसके माध्यम से पशु तस्कर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों जैसे कि हथियारों की तस्करी, नकली मुद्रा व्यापार तथा अन्य आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हुए है।
हमारे बहादुर जवान इस खतरे को रोकने के लिए, सीमाओं पर मवेशियों को बचाने के लिए अक्सर अपनी जान जोखिम में डालते रहे हैं और अपने जीवन का बलिदान भी देते रहे हैं।मगर, डीजी बीएसएफ उनके इन प्रयासों को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं। पशु तस्करों से बचाए गए गोवंश के लिए बॉर्डर आउटपोस्ट में चारे और आश्रय की कोई व्यवस्था न करके जवानों द्वारा की गई मेहनत को विफल कर रहे हैं। नतीजा यह है कि जवानों के सामने, बीओपी पर गौवंश भूख और उपेक्षा से दम तोड़ रहे हैं और पशुओं की पीड़ा उनका मनोबल गिरा रही है।
एनजीओ ध्यान फाउंडेशन ने जवानों के प्रयासों का समर्थन करते इन बचाये गए मवेशियों को पुनर्वासित करने के लिए अपनी गौशालाओं में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया। मगर इस सेवा में भी रोड़े अटकाने का प्रयास किया जा रहा है।
बॉर्डर पर गौवंश की इस हालत पर एक नज़र डालिए। कल्पना कीजिए कि जिन सैनिकों ने उन्हें बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी, वह उन्हें इस तरह देखकर क्या महसूस कर रहे होंगे…