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#Adipurush कमाल के डायलॉग…. कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की?

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रामायण के फिल्मांकन की तकनीक बदली, वहां तक तो ठीक था, लेकिन इस बार तो आदिपुरुष में भाषा-संस्कार ही बदल गए हैं?
रामायण में कुछ नया, कुछ अलग दिखाने के चक्कर में मेकअप ही नहीं बदला, भाषा ने भी संस्कार छोड़ दिए हैं!
प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान स्टारर आदिपुरुष सिनेमाघरों में रिलीज होने के साथ ही नाराज दर्शकों के निशाने पर है और जनता ने शब्दबाण चलाने शुरू कर दिए हैं, क्योंकि इसमें जो डायलॉग्स हैं, वे भाषाई मर्यादा की रेखा लांघ रहे हैं…. कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की?
Nitin Agarwal @nitinagarwalINC
@manojmuntashir ने #AadiPurush के डायलॉग द्वारा हमारे पवित्र हिंदू धर्म का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन अब जनता ढोंगियों को समझने लग गई है सुनिए फ़िल्म देखने वाले दर्शक क्या कह रहे है….
https://twitter.com/i/status/1669700953946357762
Shyam Meera Singh @ShyamMeeraSingh
आदिपुरुष के लेखक मनोज मुंतशिर से लेकर फ़िल्म के डायरेक्टर और प्रोडूसर, एक्टर्स सबको अपनी इस फ़िल्म के लिए सामूहिक माफ़ी माँगनी चाहिए, इन्होंने रामायण जैसी एक बेहतरीन क्लासिकल आर्ट को न केवल बिगाड़ा बल्कि एक सेंसिटिव इश्यू को नॉन-सीरियस होकर फूहड़ता के साथ परोसा है, शर्मनाक!
Sakshi Joshi @sakshijoshii
जिसने डायलॉग लिखे हैं वो तो बहुत पहले टपोरी बन चुका था और उसके वही टपोरी समर्थक उसकी जय जयकार कर रहे थे, आज वही टपोरीगीरी जब थिएटर में दिखा दी तो टपोरीगीरी पसंद नहीं आई…. ऐसे टपोरी से क्या शिष्टाचार की उम्मीद लगाए बैठे थे?
Pankaj Mishra पंकज मिश्र @Yaksh_Prashna
एक महाभारत के संवाद लेखक राही मासूम रज़ा साब होते थे , एक मनोज मुंतशिर शुक्ला है…. कपड़ा तेरे बाप का,  तेल तेरे बाप का, तो बत्ती बना के डाल लो मुंतशिर ….
पैदा होने से संस्कृति नहीं आती, जीने से आती है, तुम पैदा हुए हो, रजा साहब ने जिया है!
Dr Pooja Tripathi @Pooja_Tripathii
आदिपुरुष ऐसी फिल्म है कि हिंदुओं की तो छोड़िए यदि किसी मुसलमान, किसी चर्च के पादरी ने भी अपने बचपन में रामानंद सागर वाली रामायण देखी होगी तो वो भी इसे देखकर आहत हो जाएगा?
आदिपुरुष देख कर आ रहे हैं!
हिंदू भावनाओं को आहत करने के एवज़ में मनोज मुंतशीर को और फुल टपोरी फ़िल्म बनाने के लिए आदिपुरुष मेकर्स को आजीवन कारावास की सज़ा मिलनी चाहिये!
Atul Londhe Patil @atullondhe
जब आप रामायण पढ़ते है, तो क्या आपको इसी प्रकार की वेशभूषा और भाषा आप की स्मृति में आती है?
यह फिल्म हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए बनाया है क्या आपने?
डायलॉग इतने वाहियात सुनने पर लगता है किसी गली नुक्कड़ की हो!
क्या हमारी संस्कृति इतनी कमजोर थी कि इस तरह की भाषा इस्तेमाल करती थी?
आपको पैसा कमाना था कमाइए, लेकिन करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को इस तरह आहत ना कीजिए!
Kirti Azad @KirtiAzaad
क्या कोई इस वाहियात फ़िल्म के ऊपर केस करेगा?
हिंदुओं के ठेकेदार जागो!!!!
M.M. Dhera (Advocate) @AdvocateDhera
यह न हिन्दू धर्म संस्कृति को जानते हैं न भगवान राम को न रावण को. सोचिए, सनातनियों के इन दुश्मनों ने रावण का यह भद्दा रूप बनाया है. वह रावण जिसे देखकर हनुमान जी भी मुग्ध हो गए थे, महर्षि वाल्मीकि रचित की रामायण में भी रावण के ज्ञान और सुंदरता का वर्णन मिलता है, इसके अनुसार जब हनुमान जी माँ सीता की खोज में लंका पहुंचे थे तो वो भी रावण की कई खूबियों से आकर्षित हुए थे, रामायण में लिखा है हनुमानजी ने रावण के वैभव को देखते हुए कहा था कि…
अहो रूपमहो धैर्यमहोत्सवमहो द्युति:.
अहो राक्षसराजस्य सर्वलक्षणयुक्तता॥
जिसका अर्थ है कि रावण को देखते ही हनुमान मुग्ध हो जाते हैं और कहते हैं कि रूप, सौन्दर्य, धैर्य, कान्ति तथा सर्वलक्षणयुक्त होने पर भी यदि इस रावण में अधर्म न होता तो यह देवलोक का भी स्वामी बन जाता, अब इस रावण को देखिए लगता है बरसों से ब्रश तक नहीं किया है….

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