पटना. बिहार का शिक्षा विभाग इन दिनों चर्चा में है. स्कूलों में छुट्टी को लेकर हुए विवादों के बीच शिक्षा विभाग ने कहा है कि उसने छुट्टियों के दो कैलेंडर जारी किया है. जो कि उर्दू स्कूलों के लिए अलग और सामान्य स्कूलों के लिए अलग है. इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के एक और आदेश से विवाद बढ़ा गया है. बिहार के सरकारी शिक्षकों को अब ओवर टाइम ड्यूटी करनी होंगी. सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक वे स्कूलों में पढ़ाएंगे और उसके बाद उन्हें चुनावी कार्यों में लगाया जायेगा. स्कूलों की पढ़ाई के समय उनसे कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जायेगा. यह निर्देश शिक्षा विभाग के अपर प्रधान सचिव के के पाठक ने जारी किया है.
शिक्षा विभाग के बिना नहीं हो सकता काम
बिहार में 1 दिसंबर से मतदाता पूर्ण निरीक्षण का कम शुरू होना है. जिसमे सरकारी शिक्षकों को बी एल ओ के रूप में लगाया गया है. शिक्षा विभाग के अपर प्रधान सचिव केके पाठक ने जारी पत्र में जिसमें यह लिखा गया है कि यह पाया गया है कि शिक्षा विभाग के शिक्षकों/शिक्षकेत्तर कर्मियों, टोला सेवकों की प्रतिनियुक्ति चुनाव संबंधी कार्यों में बीएलओ के रूप में लगाई जा रही है. बिना शिक्षा विभाग के कर्मियों की मदद के चुनाव का काम नहीं हो सकता है.
चुनाव के कार्य के लिए अलग मानदेय
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिला पदाधिकारी से कहा है, शिक्षकों को चुनाव का कार्य स्कूल कार्य खत्म होने के बाद ही दें. यदि आप शिक्षकों को चुनाव संबंधी कार्यों में लगाते हैं, तो उन्हें शाम 5.00 बजे के बाद ही लगाये. जिससे सुबह से लेकर शाम तक विद्यालय का कामकाज बाधित न हो. साथ ही यह उल्लेख करना आवश्यक है कि चुनाव का कार्य करने के लिए उन्हें अलग से मानदेय मिलता है. इस वजह यदि शिक्षकों एवं शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को इस चुनाव कार्य के लिए अतिरिक्त घंटे काम करना पड़े तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.