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Budget 2025: बजट में रेलवे पर बढ़ेगा फोकस, वित्त मंत्री कर सकती हैं ट्रैक विस्तार जैसे कई बड़े एलान

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नई दिल्ली। बेहतर रोड कनेक्टिविटी के बाद अब सरकार रेलवे के आधुनिकीकरण पर खर्च बढ़ाकर बुनियादी ढांचे को सुधारने पर जोर लगाएगी। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में इस संबंध में कुछ बड़े एलान किए जा सकते हैं। जहां तक सड़क निर्माण की बात है तो इसके आवंटन में मामूली वृद्धि ही होने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने महामारी के बाद से आर्थिक विकास को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से सड़क नेटवर्क पर खर्च बढ़ाया है, लेकिन क्रियान्वयन चुनौतियों के चलते रेलवे पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि आगामी बजट में रेल मंत्रालय का आवंटन वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 2.55 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.90 लाख करोड़ के बीच हो सकता है। सूत्र ने कहा कि बजट आवंटन में इस वृद्धि से रेलवे के 68,000 किलोमीटर से अधिक ट्रैक के विस्तार और मार्च 2027 तक 400 हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेनों को चलाने के साथ-साथ रेल माल ढुलाई में भी मदद मिलेगी। वहीं बजट चर्चाओं से परिचित एक सरकारी सूत्र ने कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय को उम्मीद है कि बजट में तीन से चार प्रतिशत की वृद्धि होगी और यह लगभग 2.90 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।

6 गुना तक बढ़ा है सड़क परिवहन मंत्रालय का बजट

पिछले एक दशक के दौरान सड़क परिवहन मंत्रालय का बजट छह गुना तक बढ़ गया है। भारत ने इस दौरान अपने सड़क नेटवर्क का लगभग 60 प्रतिशत विस्तार करके इसे 1,46,000 किलोमीटर से अधिक कर दिया है। अधिकारी ने यह भी कहा है कि खर्च की सीमा और भूमि अधिग्रहण चुनौतियों को देखते हुए सड़क परिवहन मंत्रालय दो से तीन प्रतिशत बजट वृद्धि से भी संतुष्ट होगा। उन्होंने कहा कि आंतरिक संसाधनों के माध्यम से भी धन जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।पहले आठ महीनों में सड़क मंत्रालय ने बजट का केवल 54 प्रतिशत खर्च किया नीति निर्माताओं ने सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा खर्च में गिरावट के बारे में चिंता व्यक्त की है। दरअसल, इसके पीछे की बड़ी वजह पिछले साल हुए आम चुनाव और कई राज्यों में चुनाव के चलते परियोजनाओं में देरी प्रमुख कारण है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने नवंबर तक वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में अपने पूरे साल के बजट का केवल 54 प्रतिशत खर्च किया है जबकि रेल मंत्रालय ने 76 प्रतिशत खर्च किया है। परिवहन मंत्रालय निजी फर्मों को टोल संग्रह अधिकार बेचकर और सड़क परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करके अतिरिक्त धन जुटाने की योजना बना रहा है। एक सूत्र ने कहा कि मंत्रालय का लक्ष्य आने वाले सालों में 50 हजार किलोमीटर हाई-स्पीड रोड नेटवर्क बनाने की योजनाओं को आंशिक रूप से वित्तपोषित करने के लिए सालाना एक लाख करोड़ तक जुटाना है।

 

 

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