चमोली: उत्तराखंड के बद्रीनाथ के 3 किलोमीटर दूर माणा गांव में शुक्रवार सुबह खौफनाक नजारा देखने को मिला. अचानक भरभरा कर ग्लेशियर टूट गया, जिससे 54 मजदूरों की जिंदगी पर बन आई. हालांकि, बाबा बद्री की कृपा से सेना देवदूत बनकर आई और 46 मजदूरों को बचा लिया. मगर, अफसोस की बात बचाए गए सात मजदूरों की मौत हो गई. वहीं, चमोली जिले में अभी एक जान बर्फ में फंसी हुई हैं. सेना, NDRF, SDRF, ITBP और उत्तराखंड पुलिस के जवान एक मजदूर को बचाने के लिए पिछले 57 घंटे से अधिक समय से जूझ रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है. तीन दिन से लगातार जवान रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं.
सुबह-सुबह हादसे के साथ खुली आंखें
28 फरवरी को घड़ी में जब 7 बजकर 15 मिनट हुए, वैसे ही हाहाकार मच गई. करीब 7:15 बजे माणा और बद्रीनाथ के बीच स्थित BRO लेबर कैंप हिमस्खलन (ग्लेशियर से बर्फ खिसक गई) की चपेट में आ गया. इसके चलते आठ कंटेनर और एक शेड बर्फ के नीचे दब गए. इस एवलांच में कुल 54 मजदूर फंस गए.
भारी बर्फबारी बनी मुसीबत
बीते कुछ दिनों से चमोली जिले में भारी बर्फबारी हो रही थी, जिससे चलते जगह-जगह बर्फ जमा हो गई थी. सुबह-सुबह ठेकेदार के 54 मजदूर सड़कों से बर्फ हटाने और मरम्मत का काम कर रहे थे. ये सभी मजदूर वहीं पर कैंप बना कर रह भी रहे थे. इन लोगों ने अपने रहने के लिए पांच कंटेनर वहां पर रखे थे. ऐसे में अचानक ग्लेशियर फटने से सभी के सभी मजदूर उसी कंटेनर में दब गए. हादसे की सूचना मिलने के बाद आनन-फानन में बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन की टीम घटनास्थल के लिए रवाना हुई. टीम ने चमोली जिला प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी.
महज साढ़े 4 घंटे में 10 मजदूरों को बचाया
भारतीय सेना की क्विक रिस्पांस टीम के 170 के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंची. इस टीम में डॉक्टर, एंबुलेंस और उपकरणों से लैस कर्मी शामिल थे. शुक्रवार सुबह 11:50 तक टीमों ने पांच कंटेनरों को ढूंढ लिया और 16 लोगों को बचा लिया, सभी जीवित थे, इनमें से दो कर्मियों की गंभीर स्थिति थी. सेना के जवानों ने सिर्फ साढे़े 4 घंटे में रेस्क्यू कर 54 मजदूरों में से 10 मजदूरों को बचा लिया था.
200 से अधिक जवान
ग्लेशियर के बाद बचाव अभियान लगातार जारी है. जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन की टीम के साथ सेना, NDRF, SDRF, ITBP और उत्तराखंड पुलिस के करीब 200 जवान घटनास्थल के लिए रवाना हुए, लेकिन बर्फबारी के चलते इन सबको मौके पर पहुंचने में ही तीन घंटे लग गए थे. टीम सुबह करीब साढ़े 11 बजे घटनास्थल पर पहुंच पाई थी. डॉक्टर सहित एंबुलेंस को भी मौके पर तैनात कर दिया गया. बर्फ को हटाने के लिए सेना अपने साथ भारी इक्विपमेंट लेकर गई थी, ताकि जल्दी-जल्दी कंटेनर में फंसे लोगों को बाहर निकाला जा सके. वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी भी दूसरे दिन मैदान में नजर आए हैं. उन्होंने घटनास्थल का जायजा लिया.
यह है अबतक का अपडेट
अब तक 46 लोगों का रेस्क्यू हो चुका है. प्रशासन का कहना है कि पहले 57 लोगों के फंसे होने की बात सामने आई थी, लेकिन अब यह संख्या 54 बताई जा रही है. जबकि 7 लोगों की मौत हो चुकी है और 1 की तलाश जारी है. यहां भारी बर्फबारी के बाद 1 मार्च को भारी बारिश के साथ ही बर्फबारी का ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. एसडीआरएफ, एनडीआरएफ सहित पूरा प्रशासनिक अमला बर्फ में दबे मजदूरों की तलाश में लगा हुआ है.
चमोली एवलांच: रेस्क्यू ऑपरेशन का तीसरा दिन
चमोली में आज मौसम साफ होने के कारण रेस्क्यू अभियान सुबह से ही शुरू हो गया. सेना के 7 और एक निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर रेस्क्यू में लग गया है. पीआरओ डिफेंस, लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने रविवार को बताया कि सेना द्वारा जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बर्फ में दबे 3 और श्रमिकों के शव रेस्क्यू किए गए हैं. शवों को माणा पोस्ट लाया जा रहा है. अब एक श्रमिक लापता है, सेना अब एक श्रमिक की तलाश कर रही है.
एक ने भागकर बचाई जान
हादसे में फंसने वालों में से एक युवक ने भागकर अपनी जान बचा ली थी और बाकि लोग फंस गए. रेस्क्यू के बाद लौटे लोगों ने खौफनाक आपबीती बताई. यूपी बलिया के रहने वाले एक मजदूर ने बताया कि सुबह अचानक आंखों के सामने बर्फ का पहाड़ आ गया. नौबत ऐसी आ गई कि तुरंत अफरा-तफरी में सब जान बचाकर भागने लगे.