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सहायक अध्यापक के बैंक खाते से जारी कराए चेक से 2.43 लाख रुपये उड़ाने के मामले में सेवानिवृत्त दरोगा की फरार पुत्री को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसका एक साथी पहले पकड़ा जा चुका है। गैंग का मास्टरमाइंड फरार चल रहा है। आरोपी युवती नई दिल्ली के कॉलेज में एमकॉम की छात्रा है। सदर कोतवाली क्षेत्र के रेल बाजार निवासी राकेश कुमार सिंह सदाशिव इंटर कॉलेज में अध्यापक हैं। उनके खाते से चेक के जरिए एक लाख 40 हजार रुपये शातिर साइबर अपराधियों ने 10 जून को निकाले थे।
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इसके पहले भी खाते से एक लाख तीन हजार रुपये निकाले गए थे। 10 जून की निकाली रकम में 88 हजार ही शातिर निकाल पाए थे, बाकी रकम बैंक से संपर्क कर राकेश ने ट्रांसफर होने से रुकवा दी थी। साइबर थाने में अध्यापक की ओर से 12 जुलाई को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान गाजियाबाद कोतवाली की न्यू पंचवटी कालोनी निवासी विशाल शर्मा को 18 अगस्त को गिरफ्तार किया था। घटना में शामिल मास्टरमाइंड अमित शर्मा दबिश में बच निकला था।
पहले अमित भी न्यू पंचवटी में रहता था। अब नोएडा में रहता है। अमित आठ माह पहले हापुड़ जेल से छूटा है। जांच में सामने आया कि धोखाधड़ी के दौरान एक महिला भी अध्यापक से बातचीत करती थी। विवेचना में पुलिस नई दिल्ली से गरिमा सिंह को गिरफ्तार कर लाई है। गरिमा सिंह एमकाॅम की छात्रा है। वह नई दिल्ली उत्तमनगर ओम विहार फेस-2 के रहने वाले सेवानिवृत्त एएसआई की पुत्री है। तीन माह पहले वह भी हापुड़ जेल से छूटी है। वह अमित शर्मा और विशाल शर्मा के साथ लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाती थी। उस पर आरोप है कि बैंक खाते से कूटरचित दस्तावेज के आधार पर मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी लिंक कराने के बाद अध्यापक के नाम की चेकबुक, डेबिट कार्ड प्राप्त किया था। यूपीआई लिंक कर ट्रांजेक्शन किया था। उसके खिलाफ हापुड़ में एक साल पहले आईटी एक्ट के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था।
गैंग अध्यापक से पहले साढ़े आठ लाख की कर चुका ठगी
महिला और उसके साथियों ने अध्यापक से साढ़े आठ लाख की ठगी 2017 से 2021 के बीच की थी। उन्हें इंश्योरेंस पालिसी व फाइनेंस का झांसा देकर गैंग ने ठगी की थी। साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि साइबर अपराधी गैंग के सदस्य अध्यापक के संपर्क में काफी पहले से थे। पहले इन लोगों ने साढ़े आठ लाख की धोखाधड़ी की थी। इसकी शिकायत अध्यापक ने नहीं की थी। आरोपी बैंक खातों में कूटरचित, फर्जी दस्तावेजों के सहारे नामिनी बन जाते हैं। उनके मोबाइल नंबर की डुप्लीकेट सिमकार्ड, डेबिट कार्ड, चेकबुक की दूसरी कॉपी बैंकों से प्राप्त कर लेते हैं। खाते में अपने नंबर को लिंक कराते हैं व ईमेल को बदल देते हैं। पीड़ितों के खाते से धनराशि खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं।
महिला और उसके साथियों ने अध्यापक से साढ़े आठ लाख की ठगी 2017 से 2021 के बीच की थी। उन्हें इंश्योरेंस पालिसी व फाइनेंस का झांसा देकर गैंग ने ठगी की थी। साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि साइबर अपराधी गैंग के सदस्य अध्यापक के संपर्क में काफी पहले से थे। पहले इन लोगों ने साढ़े आठ लाख की धोखाधड़ी की थी। इसकी शिकायत अध्यापक ने नहीं की थी। आरोपी बैंक खातों में कूटरचित, फर्जी दस्तावेजों के सहारे नामिनी बन जाते हैं। उनके मोबाइल नंबर की डुप्लीकेट सिमकार्ड, डेबिट कार्ड, चेकबुक की दूसरी कॉपी बैंकों से प्राप्त कर लेते हैं। खाते में अपने नंबर को लिंक कराते हैं व ईमेल को बदल देते हैं। पीड़ितों के खाते से धनराशि खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं।




















