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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर लोग दही और चूड़ा क्यों खाते हैं? मकर संक्रांति के दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी? जानें क्या है परंपरा

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Dahi Chura Benefits:हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सूर्य की गति के कारण खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व है। ज्योतिष के अनुसार दही-खाने का क्या नियम है?

Dahi Chura on Sankranti: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व सुख-समृद्धि लेकर आता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसीलिए मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो मकर संक्रांति के दिन दान और पुण्य करने से लाभ और शुभ फल की प्राप्ति होती है। अब मकर संक्रांति के दिन दही-चना खाने का ज्योतिषीय महत्व क्या है? आइए जानते हैं विस्तार से।

मकर संक्रांति पर लोग दही और चूड़ा क्यों खाते हैं?
मकर संक्रांति पर लोग दही और चूड़ा क्यों खाते हैं?

मकर संक्रांति के दिन दही-चिवड़ा खाने का क्या महत्व है?
मकर संक्रांति के दिन दही-चिवड़ा खाने का बहुत महत्व है। यह न केवल एक स्वादिष्ट व्यंजन है, बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण भी हैं। दही और दही को सूर्य देव का प्रिय प्रसाद माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव को दही अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर दही-चिवड़ा खाने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है। दही-चिवड़ा खाने से कुंडली में ग्रह दोष दूर होते हैं। दही-चूड़ा को नए साल की शुरुआत का शुभ संकेत माना जाता है।

दही-चूड़ा शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है
भारतीय संस्कृति में दही-चूड़ा को सदियों से शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता रहा है। दही और दही का सेवन शुभ माना जाता है, खासकर मकर संक्रांति जैसे त्योहारों के दौरान। दही का सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि दही खाने से मन शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दही-चूड़ा विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में खाया जाता है।

दही चूड़ा खाने का धार्मिक महत्व क्या है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि दही-खिचड़ी खाने से घर में सौभाग्य, सुख-समृद्धि आती है। दही-चूड़ा सूर्य देव का प्रिय प्रसाद माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें दही-चूड़ा चढ़ाकर प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। दही-दही खाने से व्यक्ति के ग्रह दोष भी दूर होते हैं।

दही चूड़ा खाने के फायदे
अगर आपको पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो दही चूड़ा खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है। इससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और आंतों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। यदि आपको पेट खराब है या फूड पॉइजनिंग है तो आप दही चूड़ा खा सकते हैं। दही में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया आपके पेट को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। दही चूड़ा खाने से भी वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

मकर संक्रांति के दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी?

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है. भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के बाद ये पर्व मनाया जाता है. इस दिन स्नान और दान किया जाता है. इस खिचड़ी बनाकर भी खाई जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खिचड़ी क्यों बनाई जाती है. अगर नहीं तो आइए जानते हैं.

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का बहुत विशेष और महत्वपूर्ण त्योहार है. भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के बाद ये त्योहार मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान और दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान और दान से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति का पर्व
आज 14 जनवरी है. भगवान सूर्य कल मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कल सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर होगा. ऐसे में कल मकर संक्रांति का पर्व है. मकर संक्रांति पर स्नान और दान के साथ-साथ खिचड़ी बनाकर खाने की परंपरा भी है. आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है. इसके पीछे की परंपरा क्या है.

मकर संक्रांति पर लोग दही और चूड़ा क्यों खाते हैं?
मकर संक्रांति पर लोग दही और चूड़ा क्यों खाते हैं?

मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने की पंरपरा का उल्लेख कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी भगवान सूर्य और शनि देव से जुड़ी है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. दाल, चावल और हरी सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है. इसलिए खिचड़ी को पौष्टिक आहार माना जाता है. खिचड़ी खाने से सर्दियों में एनर्जी मिलती है. साथ ही शरीर गर्म रहता है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है.

खिचड़ी का क्या है महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी के चावल, काली दाल, हल्दी और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है. मान्यता है कि खिचड़ी के चावल का चंद्रमा और शुक्र की शांति से महत्व है. काली दाल से शनि राहू और केतु का महत्व बताया जाता है. खिचड़ी में पड़ने वाली हल्दी का संबंध गुरू बृहस्पति से है. इसमें पड़ने वाली हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं.

वहीं खिचड़ी के पक जाने पर उससे जो गर्माहट निकलती है, उसका संबध भगवान सूर्य और ग्रहों के सेनापति मंगल से बताया जाता है. इस तरह सभी नवग्रहों से खिचड़ी का संबंध है. इसलिए इस दिन खिचड़ी के दान का बहुत महत्व माना जाता है.

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