नई दिल्ली. मणिपुर में अभी भी हिंसा की लपटें धधक रही हैं. इसके लिए संसद भवन की लाइब्रेरी बिल्डिंग में मणिपुर हिंसा को लेकर एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई. विपक्ष लगातार इस सर्वदलीय बैठक को बुलाने की मांग कर रहा था. जहां तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर में भेजने की बात कही है.
गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बुलाई गई इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी, नित्यानंद राय, संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ ही मणिपुर के पूर्व सीएम इबोबी सिंह, समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओ ब्रायन, डीएमके से तिरुचि शिवा, शिवसेना उद्धव से प्रियंका चतुर्वेदी, आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह सहित दो दर्जन पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.
वहीं, इस बैठक में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने मांग की है कि अगले एक सप्ताह में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजा जाए. केंद्र सरकार की ओर से अब तक का संदेश की अनदेखी हो रही है. इसे उपचार, देखभाल, शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए बदलने की जरूरत है.
बता दें कि मणिपुर में आदिवासियों को लेकर कुछ खास कानून हैं, जिसके तहत वे पहाड़ी इलाकों में रह सकते हैं. वहीं, मैतई समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिलने के कारण वो पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते हैं. जिसके लिए मैतेई समाज खुद को अनुसूचित जाति का दर्जा हासिल करवाने की मांग कर रही है. मणिपुर में 3 मई को मैतई और कुकी समुदाय में अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के विरोध में हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.