गुवाहाटी, 9 मई:
असम सरकार द्वारा सभी पब्लिक फैसिलिटेशन सेंटर्स (PFCs) को बंद करने के निर्णय ने राज्यभर में विरोध की लहर पैदा कर दी है। कैबिनेट बैठक बाद जैसे ही यह फैसला सामने आया, PFC ऑपरेटर्स और आम नागरिकों में आक्रोश फैल गया। ऑल असम सेवा सेतु PFC ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सत्यजीत सिंह ने सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है और चेताया है कि यह कदम जनसेवा की रीढ़ को तोड़ने जैसा होगा।
PFCs: जनसेवा की जीवनरेखा
वर्षों से राज्य के दूर-दराज़ इलाकों में PFCs आम जनता को जाति, निवास, आय प्रमाणपत्र, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, रोजगार सेवाओं और सरकारी योजनाओं से जोड़ने का अहम जरिया रहे हैं। विशेषकर डिजिटल साक्षरता से वंचित वर्ग के लिए ये केंद्र शासन से सीधा संपर्क स्थापित करने का एकमात्र माध्यम रहे हैं।
हजारों पर बेरोजगारी का खतरा
एसोसिएशन का कहना है कि इस निर्णय से न केवल हजारों प्रशिक्षित PFC ऑपरेटर्स की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी, बल्कि आम नागरिकों को भी आवश्यक सेवाओं की प्राप्ति में गंभीर बाधा उत्पन्न होगी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां इंटरनेट और तकनीकी संसाधनों की भारी कमी है, यह फैसला नागरिक सुविधाओं को ठप कर सकता है।
संवादहीन निर्णय की आलोचना
श्री सिंह ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने इतना बड़ा निर्णय ऑपरेटर्स या जनता से संवाद किए बिना लिया। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इस निर्णय को तुरंत रद्द किया जाए या उस पर गंभीर पुनर्विचार हो।”
सरकार के नाम 3 प्रमुख मांगें:
- PFC बंद करने के निर्णय को रद्द किया जाए या उस पर पुनर्विचार किया जाए।
- सभी कार्यरत PFC ऑपरेटर्स को सेवा निरंतरता की गारंटी दी जाए।
- भविष्य में इस प्रकार के किसी भी निर्णय से पहले हितधारकों से व्यापक संवाद किया जाए।
जनता से समर्थन जुटाने की तैयारी
एसोसिएशन ने बताया कि वे राज्यभर में जागरूकता अभियान चलाकर जनता से समर्थन जुटा रहे हैं। शीघ्र ही एक राज्यव्यापी ज्ञापन अभियान के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
“जनसेवा को ठप न करें, हमारी आवाज़ सुने” – सत्यजीत सिंह
अपनी अपील में श्री सिंह ने कहा, “हमने वर्षों से पूरी निष्ठा और ईमानदारी से सेवाएं दी हैं। हमारा उद्देश्य केवल रोजगार नहीं, बल्कि शासन की योजनाओं को जनता तक पहुँचाना है। हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस निर्णय को बदलने की दिशा में कदम उठाए।”





















