राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक विवादास्पद बैठक को लेकर केरल के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एमआर अजित कुमार को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) के पद से हटा दिया गया था। जिसके कुछ दिनों बाद, इस मामले की उच्च स्तरीय जांच में सामने आया कि बैठक का वास्तविक उद्देश्य पता नहीं लगाया जा सका क्योंकि यह किसी गवाह के बिना एक बंद कमरे में आयोजित की गई थी।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को केरल विधानसभा में जांच रिपोर्ट पेश की। यह रिपोर्ट अजित कुमार को प्रमुख पद से हटाए जाने के एक सप्ताह बाद आई है। साथ ही वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार द्वारा इस साल त्रिशूर के प्रतिष्ठित पूरम उत्सव के आयोजन की तीन-स्तरीय जांच के आदेश दिए जाने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद आई है।
भाजपा के त्रिशूर लोकसभा सीट जीतने पर विवाद
गौरतलब है कि अप्रैल 2023 में आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले और जून 2023 में एक अन्य प्रमुख राष्ट्रीय नेता राम माधव के साथ कुमार की मुलाकात हाल ही में हुए चुनावों में भाजपा द्वारा त्रिशूर लोकसभा सीट जीतने के बाद एक बड़े विवाद में बदल गई है। नतीजों की घोषणा के तुरंत बाद, कांग्रेस और एलडीएफ सहयोगी सीपीआई ने आरोप लगाया था कि यह बैठक एक साजिश का हिस्सा थी, जिसके कारण उत्सव को जानबूझकर खराब किया गया और कुछ ही दिनों बाद हुए लोकसभा चुनावों में त्रिशूर में भाजपा की पहली जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ।
त्रिशूर में आरएसएस की बैठक में पहुंचे थे ADG
पांच सदस्यीय जांच का नेतृत्व केरल के डीजीपी शेख दरवेश साहब ने किया। अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि त्रिशूर में आरएसएस की बैठक जिसमें होसबाले ने भाग लिया था, वह विशेष रूप से उस संगठन के सदस्यों के लिए थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “उस समारोह में एडीजी न तो आमंत्रित थे और न ही यह समारोह जनता के लिए खुला था। बैठक का असली उद्देश्य पता नहीं चल सका क्योंकि यह दो व्यक्तियों के बीच बंद कमरे में हुई बैठक थी।”
जांच में पाया गया कि ऐसे आरोप थे कि अजित कुमार की आरएसएस नेताओं से मुलाकात का उद्देश्य विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक प्राप्त करने और केरल डीजीपी के पद के लिए यूपीएससी चयन सूची में अपना नाम शामिल करने में उनकी सहायता लेना था। रिपोर्ट में कहा गया, “हालांकि, टीम को इसे साबित करने या नकारने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। अगर वह ऐसे किसी एहसान के लिए नेताओं से मिले थे, तो यह अखिल भारतीय सेवा नियमों का उल्लंघन है।”
आईपीएस अजित ने कहा था कि उन्होंने आरएसएस नेताओं से शिष्टाचार भेंट की थी
वहीं, अपनी ओर से अजित कुमार ने जांच दल को बताया था कि उन्होंने दोनों आरएसएस नेताओं से केवल शिष्टाचार भेंट की थी और दोनों बैठकों का कोई विशेष उद्देश्य नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने राज्य में आने वाले सभी प्रमुख नेताओं से इसी तरह मुलाकात की।
हालांकि, जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि वह त्रिशूर में दत्तात्रेय होसबाले से मिलने क्यों गए और अपनी सरकारी कार छोड़कर आरएसएस नेता जयकुमार के निजी
त्रिशूर में आरएसएस की बैठक में पहुंचे थे ADG
पांच सदस्यीय जांच का नेतृत्व केरल के डीजीपी शेख दरवेश साहब ने किया। अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि त्रिशूर में आरएसएस की बैठक जिसमें होसबाले ने भाग लिया था, वह विशेष रूप से उस संगठन के सदस्यों के लिए थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “उस समारोह में एडीजी न तो आमंत्रित थे और न ही यह समारोह जनता के लिए खुला था। बैठक का असली उद्देश्य पता नहीं चल सका क्योंकि यह दो व्यक्तियों के बीच बंद कमरे में हुई बैठक थी।”
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जांच में पाया गया कि ऐसे आरोप थे कि अजित कुमार की आरएसएस नेताओं से मुलाकात का उद्देश्य विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक प्राप्त करने और केरल डीजीपी के पद के लिए यूपीएससी चयन सूची में अपना नाम शामिल करने में उनकी सहायता लेना था। रिपोर्ट में कहा गया, “हालांकि, टीम को इसे साबित करने या नकारने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। अगर वह ऐसे किसी एहसान के लिए नेताओं से मिले थे, तो यह अखिल भारतीय सेवा नियमों का उल्लंघन है।”
आईपीएस अजित ने कहा था कि उन्होंने आरएसएस नेताओं से शिष्टाचार भेंट की थी
वहीं, अपनी ओर से अजित कुमार ने जांच दल को बताया था कि उन्होंने दोनों आरएसएस नेताओं से केवल शिष्टाचार भेंट की थी और दोनों बैठकों का कोई विशेष उद्देश्य नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने राज्य में आने वाले सभी प्रमुख नेताओं से इसी तरह मुलाकात की।
हालांकि, जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि वह त्रिशूर में दत्तात्रेय होसबाले से मिलने क्यों गए और अपनी सरकारी कार छोड़कर आरएसएस नेता जयकुमार के निजी वाहन में यात्रा क्यों की।
बैठक का मकसद नहीं आया सामने
रिपोर्ट में कहा गया है, “चूंकि उन्होंने अपने बयान में स्वीकार किया है कि उनकी यात्रा महज एक शिष्टाचार भेंट थी इसलिए बैठक का सटीक कारण या बैठक में क्या हुआ, यह निर्धारित करना संभव नहीं है, क्योंकि यह एक बंद कमरे में आयोजित की गई थी, जिसमें कोई अन्य स्वतंत्र गवाह नहीं था। इसलिए यह पुष्टि नहीं की जा सकी कि यह शिष्टाचार मुलाकात थी या कुछ और।”
रिपोर्ट में कहा गया, “ये बैठकें न तो एडीजीपी कानून और व्यवस्था के रूप में किसी भी कानून-व्यवस्था के मुद्दों से निपटने के लिए उनके आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा थीं और न ही किसी मामले की जांच या किसी अन्य जांच का हिस्सा थीं।” कहा गया है कि ये बैठकें किसी निजी/पारिवारिक समारोह का हिस्सा भी नहीं थीं, जिसमें वह आमंत्रित थे।