अभिमनोज. सिल्क्यारा टनल हादसे को हुए सप्ताह भर हो गया है और टनल में फंसी 40 से ज्यादा जिंदगियों को सकुशल टनल से बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. खबरों की मानें तो…. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में केंद्रीय एजेंसियों के साथ 200 लोगों की टीम 24 घंटे काम कर रही है, नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पाेरेशन लिमिटेड, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू में जुटी है, यही नहीं, भारतीय वायुसेना ने टनल में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए 27,500 किलोग्राम रेस्क्यू इक्यूप्मेंट को कड़ी चुनौती के बीच बजरी वाले एयरस्ट्रिप पर पहुंचायाइसके अलावा, इस संकट से निपटने के लिए कई देशों के एक्सपर्ट से भी ऑनलाइन सलाह ली जा रही है, बावजूद इसके कामयाबी अभी दूर है. दरअसल, इस वक्त जो लोग इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं, वे न केवल अच्छे एक्सपर्ट हैं, बल्कि अपने काम में जी-जान से लगे हैं, लेकिन…. हमारे सुरक्षा और सहायता तंत्र की समीक्षा की जरूरत है.
ऐसे हादसे नहीं हों, इसके लिए जरूरी है कि हादसेवाली संभावित जगहों पर लगातार निगरानी की जाए, समय-समय पर जरूरी उपकरणों को चेक किया जाए तथा ऐसे कार्य में लगे लोगों को सुरक्षा के मद्देनजर नियमित ट्रेनिंग दी जाए. खदानों के धसने जैसी घटनाओं के अलावा भी बड़ी-बड़ी इमारतों में आग लगने, भारी बरसात के दिनों में बचाव आदि के लिए तत्काल उपाय तो किए जाते हैं, लेकिन स्थाई सुरक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है, क्यों? याद रहे, दुर्घटना होने पर बचानेवाले के अलावा जो इसके शिकार हैं, उन्हें भी सुरक्षित तरीकों की जानकारी होनी चाहिए. सिनेमा हाल में अग्निशमन यंत्र लगे होते हैं, लेकिन समय आने पर ये चलेंगे भी या नहीं, कह नहीं सकते हैं, कुछ समय पहले खबर थी कि किसी फिल्म के शो के दौरान पटाखे फोडे गए, इस पर क्या कार्रवाई की गई, अगर हाल में आग लग जाती तो क्या होता? बसों में फर्स्ट एड बाक्स खाली पड़े रहते हैं, तो आपात स्थिति में क्या करना है, ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है.
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- Admin
- November 19, 2023
- 11:03 am
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#UttarkashiRescue क्या हमारा सुरक्षा और सहायता तंत्र केवल दिखावटी है?
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