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भगवान राम रघुकुल में जन्म लिए थे और राजा दशरथ के पुत्र एवं राजा अज के पौत्र थे। उनके दो पुत्र लव और कुश थे। यह बात सभी को पता है कि लव और कुश भगवान राम के दो पुत्र लेकिन रघुकुल में लव कुश के बाद राजा कौन-कौन बना यह बात सभी को पता नहीं है। भगवान राम की मृत्यु के बाद बड़ा बेटा ‘कुश’ राजा बना, लेकिन कुश अपने पूर्वजों की तरह एक कुशल शासक नहीं बन पाया। उन्होंने नागों को मारने की कोशिश की, जिन्होंने उनके पिता भगवान राम द्वारा दिए बेश क़ीमती पत्थर को चुरा लिया था। भगवान राम को ये बेश क़ीमती पत्थर अगस्त्य ऋषि ने भेंट में दिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार कुश दुर्जय राक्षस से लड़ाई के दौरान मारा गया था, लेकिन उनके पूर्वज कभी, कोई भी लड़ाई नहीं हारे थे, पर जब दुर्जय राक्षस ने स्वर्ग पर आक्रमण किया, तो वो इसमें मारा गया था।
कुश की मृत्यु के बाद उसका बेटा ‘अतिथि’ राजा बना। कुश और नागकन्या कुमुदवती का बेटा अतिथि अपने पूर्वजों की तरह एक महान राजा था। वशिष्ठ मुनि की देख-रेख में अतिथि एक महान योद्धा बना। अतिथि की मृत्यु के बाद उसका बेटा ‘निषध’ राजा बना। निषध भी अपने पिता की ही तरह एक महान राजा और योद्धा साबित हुआ। निषध के बाद उसका बेटा ‘नल’ राजा बना। लेकिन नल राजपाट त्यागकर ऋषि मुनियों के साथ जंगल में रहने लगा। पिता के राजपाट त्यागने के बाद ‘नभ’ उत्तर कोसला का शासक बना। नभ पर पुंडारीक ने हमला किया था। पुंडारीक की तरह उसका बेटा क्षेमधनवा भी एक महान योद्धा था।
क्षेमधनवा का बेटा देवानीक भी अपने पिता की ही तरह महान योद्धा था. वो देवास की सेना का प्रमुख भी था। देवानीक का एक बेटा था जिसका नाम था अहीनागू, जिसने पुरे ब्रह्मांड पर राज किया। जिसे उसकी प्रजा ने ख़ूब प्यार किया।
देवानीक के बाद उसका बेटा परियात्रा राजा बना। परियात्रा की मृत्यु के बाद उसका बेटा शिल राजा बना, जो कि बहुत विनम्र था। इसी तरह साल दर साल राजा बदलते गए और रघुवंश यूं ही आगे बढ़ता गया। अग्निवर्ना इस रघुवंश का आख़िरी राजा था। लेकिन वो हमेशा भोग विलासिता भरी ज़िन्दगी जीने का आदि हो गया था। प्रजा तो दूर की बात उनके मंत्रियों ने भी उन्हें कभी नहीं देखा था। वो विलासिता के कारण बेहद कमज़ोर राजा बन गया था, बावजूद इसके अन्य राजाओं को राघवों से इतना डर था कि उन्होंने कभी भी हमला करने की नहीं सोची। इस तरह अग्निवर्ना की कम उम्र में ही मर गया मृत्यु हो गई। जिस वक़्त वो मरा उसकी गर्भवती पत्नी सिंहासन पर बैठने को तैयार थी और इसी के साथ महान रघुवंशी राजवंश समाप्त हो गया।
डॉ. बी. के.मल्लिक
वरिष्ठ लेखक
9810075792