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शिलचर गुरुचरण महाविद्यालय में एक दिवसीय सरल मानक संस्कृत कार्यशाला 

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शिलचर 8 मार्च: कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय नलबाड़ी, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की  भारतीय भाषा समिति, गुरुचरण महाविद्यालय शिलचर एवं संस्कृत भारती पूर्वोत्तर भारत  के संयुक्त तत्वावधान में 6 मार्च 2024 को गुरुचरण महाविद्यालय  में सरल मानक संस्कृत के ऊपर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बिभास देव ने कहा  की हमारी  भारतीय ज्ञान संपदा, देव भाषा संस्कृत में विराजमान है। भारत की अति प्राचीन भाषा है। इस भाषा के प्रचार प्रसार के लिए प्रत्येक भारतीय को आगे आना होगा । कार्यक्रम के विषय प्रस्तावना डॉ मौसुमी चक्रवर्ती ने अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में सरल संस्कृत के प्रयोग का महत्व बताते हुए कहा की संस्कृत अध्ययन अध्यापन की माध्यम भाषा संस्कृत  ही  होने चाहिए और यह आज की युग की मांग है।  इसके व्यापक प्रचार प्रसार और जन-जागरण के लिए छात्रों और  संस्कृत शिक्षकोंको आगे आना  होगा ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माइकल मधुसूदन दत्त महाविद्यालय, दक्षिण त्रिपुरा के सहयोगी अध्यापक, डा. तपन शील  ने आपने भाषण में संस्कृत भारती के द्वारा  संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं जनभाषा वनाने के लिए संस्कृत संभाषण अभियान की प्रशंसा करते हूये  कहा की संस्कृत भारती के इस प्रयास के कारण  भारत सहित विदेशों में भी लाखों लोग संस्कृत में सम्भाषण करने में समर्थ हो रहे है। पत्राचार , गीता शिक्षण केन्द्र जैसे संस्कृत भारती के उपक्रमों में  संस्कृत पढ़ने के लिए लोग आ रहे हैं।  विशिष्ट अतिथि के पद से भाषण करते हुए संस्कृत भारती, उत्तर असम प्रान्त के प्रान्त  संगठन मन्त्री श्री भवेन शइकीया ने कहा की बहुत लोक यह समझते है की संस्कृत भाषा बहुत कठिन है। कही वर्ष पयत्न करने से ही उसका ज्ञान हो सकता है किन्तु वास्तव मे यदि विचार किया जाय तो यह भ्रम मात्र है। संस्कृत भाषा नियमबद्ध,  वैज्ञानिक एवं स्वभाव सिद्ध होने के कारण सभी भाषाओं में संस्कृत ही सरल, सुबोध एवं सुगम है। संस्कृत भारती के सम्भाषण के महत्व का व्याख्यान करते हुए कहा की मैं निश्चितपूर्वक कहा सकता हूं दस दिन प्रतिदिन दो घन्टा समय निकाल कर शिविर में योगदान करने पर मात्र दस दिन के अन्दर ही व्यावहारिक संस्कृत भाषा का ज्ञान सम्भव है। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलन  से हुआ । कार्यक्रम का संचालन, संस्कृत विभागाध्यक्षा डा. मौसुमी औभट्टाचार्य , स्वागतभाषण, कार्यशाला के संयोजक, कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय के सर्वदर्शन विभागाध्यक्ष, डा. रणजीत कुमार तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के स्थानीय संयोजक, भोलानाथ महाविद्यालय के अध्यापक, डा.चन्द्रशेखर उपाध्याय ने किया। कार्यशाला के सत्र सञ्चालन मे विषय विशेषज्ञ के रूप में श्री भवेन शइकीया, डा. रणजीत कुमार तिवारी, डा. तपन शील  डा.परमेश्वर राय, डा.मृणाल कान्ति राय सरकार, डा. चन्द्र शेखर उपाध्याय, श्री रतन मोदक एवं श्री इन्द्रजीत सिंह ने प्रमुख रूप से विषय से सम्बन्धित विचारों का आदान-प्रदान एवं चर्चा किया। कार्यशाला में प्रतिभागियों की संख्या १९० थी।

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