Follow Us

सच्चा इश्क (कविता)

11 Views

सच्चा इश्क (कविता)

————————–
इश्क़ जरूरी है तुमसे
जो तुम हो वैसे बाहर से नहीं
जो अंदर से हो उससे
और ये तुम कोई और नही है तुम हो |
दूसरो का क्या रोना रोते हो
ये बताओ तुम खुद कितने
मोहब्बती हो खुद से
पिछली बार कब बोली थी
अपने मन में दबे जज़्बात
शायद नहीं की होगी
डर में जो कैद है सब
इसलिए इश्क़ जरूरी है
तुमसे जो तुम हो वैसे |
अंतिम बार कब रोया था
जब गले तक भर आये थे
दिल के कोने से जज़्बात
कब खेला था कोई खेल
बेमकसद पूरे दिन ऐसे ही
कभी पढी थी वो किताब
जो बस सुकून दे गयी हो
दिया है कभी वो दान
जिसमे तुम्हारा नाम नहीं हो
शायद किया होगा पर
फोटो लेना नहीं भुला होगा
इसलिए इश्क़ जरूरी है
तुमसे जो तुम हो वैसे |
पिछली बार कब की थी
किसी अजनबी से मन की बात
कब गाये थे वो गीत जो
झंकृत कर गयी हो
मन के एक एक तार
किये हैं कभी कोई बेतुके मज़ाक
जिस पर सब हस पड़े हो
वो भी बिन टीआरपी वाली फीस
इसलिए इश्क़ जरूरी है
तुमसे जो तुम हो वैसे |
कितने बिते ऐसे साल
किसी को ऐसे सुने
जिसमे समय की पाबंदी का टंटा
हर घड़ी न बजाया हो
क्या हैं जीवन में ऐसे लोग
जो बिन मक़सद ही हो जिगरी दोस्त
शायद नही क्योंकि लगी है
बड़ी भारी कोई रेस
और तुम भाग रहे
हर तरह के रेसकोर्स में
जहाँ डर है बस कहीं
पीछे न छूट जाने का
इसलिए इश्क़ जरूरी है
तुमसे जो तुम हो वैसे |
क्या आज भी करते हो तुम
कोई बेतरतीब बच्चो वाली हरकतें
जिसमे कोई सलीका ना हो
पर मन में उमंग भर जाये
शायद नहीं क्योंकि
तुम्हें चाहिए कुछ और
तलाश रहे हो कुछ और
तुम्हारी खोज खुद की है
और तुम ढूँढ रहे हो गैर को
इसलिए इश्क़ जरूरी है तुमसे
जो तुम हो वैसे बाहर से नहीं
जो अंदर से हो उससे
और ये तुम कोई और नहीं तुम हो !!
                          By
            Kameshwari Mishra
           Psychologist (Counsellor)
               JNV cachar Assam

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल