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अंकुर दुबे संदिग्ध मौत मामले में चार्जशीट जमा करने में पुलिस क्यों कर रही है आनाकानी?

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परिवार पुलिस की जांच पर सवाल उठा रहा है, अंकुर दुबे की बहन साची दुबे ने चेतावनी दिया कि यदि पुलिस जल्दी चार्जशीट नहीं देती है तो वह धरने पर बैठेंगी

विशेष प्रतिनिधि, शिलचर, 9 जून । अंकुर नाथ दुबे ( 32 ) मौत की 6 महीने बाद भी चार्जशीट जमा करने में पुलिस द्वारा आनाकानी पर परिवार सवाल उठा रहा है? अंकुर दुबे शिलचर शहर के लिंक रोड ( गली नंबर सात ) में पत्नी के साथ रहते थे। 25 नवंबर की शाम को रहस्यमय तरीके से अंकुर की मौत हुई थी। पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है जबकि परिवार वालों को हत्या होने की आशंका है। परिवार पुलिस की जांच पर सवाल उठा रहा है, अंकुर दुबे की बहन साची दुबे ने चेतावनी दिया कि यदि पुलिस जल्दी चार्जशीट नहीं देती है तो वह धरने पर बैठेंगी।
मामले की उचित जांच करने की बजाय सुस्त पड़ी पुलिस के रवैये से नाराज़ परिवार वालों ने राज्य के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह से संपर्क किया था। अंकुर अपने माता – पिता का इकलौता पुत्र था। परिवार वाले चाहते है कि अंकुर की हत्या हुई थी या आत्महत्या सच से पर्दा उठे। पुलिस महानिदेशक ने डीआईजी कंकन ज्योति सैकिया को त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया था। अंकुर दुबे के परिवार वाले डीआईजी से मिले पर पुलिस के रवैए में कोई बदलाव नहीं आया।
ज्ञातव्य हो कि अंकुर के पिता त्रिलोकी नाथ दुबे पेशे से चिकित्सक है। काछार जिले के दिवान चाय बागान में चिकित्सक है। पुत्र अंकुर एमआर की नौकरी करते थे। लगभग एक वर्ष पहले उसने शिलचर की अरुणिमा चक्रवर्ती से प्रेम विवाह किया तथा शिलचर शहर के लिंक रोड ( गली नंबर सात ) में पत्नी के साथ रहता था। 25 नवंबर की शाम को रहस्यमय तरीके से अंकुर की मौत हुई थी। परिवार वालों को हत्या होने की आशंका है। शिलचर प्रेस क्लब में मृतक अंकुर के पिता त्रिलोकी नाथ दुबे, माता ललिता दुबे, बहन साची कुमारी ने पिछले 25 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन कर अपनी बात रखी थी। उन्होंने बताया कि गत छह महीने में पुलिस के चक्कर लगाते – लगाते थक गए हैं। मज़बूर होकर फिर से मीडिया के सामने आना पड़ रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री और असम पुलिस के  डीजीपी से उचित न्याय की मांग की थी। उनका आरोप हैं कि पुलिस मामले को गंभीरता से ले नहीं रही। मीडिया को घटना का विवरण देते हुए उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को अंकुर के माता पिता बिहार से प्रवास कर लौटे थे। पिता की तबियत अचानक  ख़राब हो गई। अंकुर ने ही स्थानीय एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए उन्हें भर्ती कराया। इलाज चल रहा था। 25 नवंबर को अपराह्न 3 बजे अंकुर का फ़ोन भी आया था कि उसकी पत्नी अरुणिमा खाना लेकर अस्पताल पहुंचेगी। उसकी पत्नी अस्पताल पहुंची भी नहीं और शाम को किसी दूसरे के माध्यम से खबर मिली कि अंकुर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। पिता आईसीयू में भर्ती थे। मां और बहन ने बताया कि शिलचर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में शव को देखने पहुंचे तो जो नज़र आया, उन्हें नहीं लगा मामला आत्महत्या का है। शरीर के कई हिस्सों पर चोट के निशान थे। गले में मार्क था, कंधे पर गहरे चोट के निशान थे। फांसी लगाने से गले में नीचे वी का निशान हो जाता है जो नहीं था। शव का पोस्टमार्टम हुआ। इतना बड़ा हादसा हुआ लेकिन इसकी जानकारी किसी दूसरे के माध्यम से उनतक पहुंची। शहर के रंगीरखाड़ी पुलिस आउट पोस्ट में आरंभिक मामला दर्ज कराने पहुंचे थे, पुलिस का रवैया असहज था। पुलिस ने सात बार बयान बदलाया तब जाकर जाकर प्राथमिकी दर्ज हुआ। पुलिस ने अपने हिसाब से प्राथमिकी लिखवाया।
पुलिस को अब तक जिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विसरा रिपोर्ट का इंतजार था, वह भी आ चुकी है। परिवार वालों को शक है कि पुलिस पर जांच न करने के लिए कोई बाहरी दबाव है। अंकुर की मौत के बाद से ही अंकुर की पत्नी अरुणिमा चक्रवर्ती का व्यवहार संदिग्ध है। परिवार के पास बहुत सारे सवाल है जिनका जवाब पुलिस को खोजना था, लेकिन पुलिस सारे सवालों से पल्ला झाड़ रही है। पिछले एक महीने से चार्जशीट जमा करने के लिए आजकल- आजकल लगा रहे हैं।
अंकुर दुबे की बहन साची दुबे ने बताया कि इस बारे में उन्होंने लखीपुर के विधायक कौशिक राय जी तथा जिलाधिकारी रोहन कुमार झा से भी संपर्क किया था लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। साची दुबे ने बताया कि भाई के संदिग्ध मृत्यु में कई ऐसे तथ्य है जो इस बात का संकेत करते हैं कि बहुत कुछ गड़बड़ है।

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