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कौन कहता है
एक चना भाड़ नहीं फोड़ता है।।
एक अकेला रवि कब घबराता है
पुरी कायनात उन्हीं से आलोक पाता है।।
अम्बर में तो हजारों सितारे चमकता है
मगर निशा की तिमिर अकेले चांद ही भगाता है।।
समुद्र में असंख्य प्रचण्ड लहरें लहराता है
पर एक अकेला तारिणी ही सिन्धु का वक्ष चिरता चला जाता है।।
अमावस्या की रात जब घनघोर तिमिर फैलता है
तब एक अकेला दीप ही पूर्णिमा लाता है।।
गगन में जब घनघोर घटा मंडराता है
तब एक अकेला पवन ही वर्षात करवाता है।।
फिर बीज अंकुरित हो फसल लहलहाता है
और सुखी धरा नव जीवन पाता है।।
तभी तो पवन पंचतत्व में एक कहलाता है।।
पवन कुमार शर्मा (शिक्षक)
दुमदुमा (असम)
मो नं 9954327677