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अपनी अलग पहचान

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क्या कहे इस जिंदगी को हम,

राह देख अवसर बदल देती,

हाल देख मौसम बदल जाते,

मिजाज देख परिस्थितियां बदल जाती,

लेकिन ,

लेकिन है कुछ-कुछ खिलाड़ी हम भी,

रखते चाह हम बदलने की,

हर अनजान लम्हों को ।

चाहे छिन जाए आसमां हमारी,

    हम वह पक्षी नहीं जो उड़ना छोड़ दे,

आज भी है हौसला हमारा इतना,

     माना आज हम है थोड़े,

 निशब्द,

लेकिन चाहतों की उड़ान तय है।

एक पोखर सूख गया तो क्या,

      हम सागर ढूंढ लेंगे,

हमें वह कश्तियां न समझो ,

    जो पर्वतों को देख रास्ता बदल देंगे ।

हम राह काट यूं ही चलते रहेंगे ,

जब तक जहां में स्वास है।

परिस्थितियों से ना हिले हम,

    हिल जाए यदि कुछ क्षणिक पल।

लेकिन,

       लेकिन हम वह पथिक नहीं,

जो राह चलना छोड़ दे।

ख्वाबों को सदैव महकाते रहे,

     मंजिलों की चाहतों में उड़ते रहे।

नशा हमारी फितरत का,

     एक मुकाम ना मिले तो क्या,

          नयी राहे ढूंढ लेंगे।

हम वह पथिक नहीं जो,

    अपनी राह बदल दे।

हम रखते हौसला यू,

     बदल दे सारा जहां,

सारा आसमां हम।

     न बदले हम खुद को,

राह चलते मुसाफिरों को देख।

है अडिग हम,

       चाह है अडिग हमारी,

है चाहतों की मंजिल ऊंची हमारी।

    क्या कहे इस जिंदगी को हम।

                  डोली शाह

                 हाइलाकांदी

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