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अब रो लो जीवन भर

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पहले नहीं सोचा, टाबर बड़ी हो गई,
चंचलाहट ना दिखी, पहनावा ना दिखा,
शरीर से गदरा गई ह,मां को भी न दिखा,
भाभी तो पराई जाई है,उसका कहना खूब खला.

अरे वाह, बड़े फिटिंग कपड़े है,
हर एक अंग का नाप लिया है, इंच इंच,
क्या मजाल,एक सूत भर भी सलवट आये,
टेलर थोड़े ही था, था टेलर टेलरों में टेलर अंकल.

अरे वाह, उसी अंकल का भाई,
क्या उसने मेंहदी लगाई, अंग अंग पर,
पार्लर वाले भैया ने, तो गजब ही कर दिया,
अंग अंग चमका दिया और तैंतीस से तेईस पर.

जाने, अगला घर कैसा होगा,
मुझे संवरने का मौका,मिलेगा भी क्या,
अंग अंग बौरा गया है, छोना बाबू भा गया है,
अजब सा अहसास है, जवानी की पूरी प्यास है.

अभी, कोरीयोवाला आयेगा,
अंग अंग लचकायेगा,सिरहन जगायेगा,
जाने घोड़ीचढ़ कैसा आयेगा,दारु का पेग लेकर
साला,कमरे में आते ही लुढ़क जायेगा, तो फिर?

तो फिर क्या?
उड़जा चिड़ैया,उन्हें क्या?
वो रो लेंगे दो चार दिन, और तुम?
बन जाओगी लाडली, से न जाने क्या और,
रो लेगें सब तुम बिन और तुम भी जीवन भर.

सर चढ़ा लिये थे न,
पर अब मजबूर हैं, ख्वाहिशें की पूरी,
सोचा जरा भी नहीं,अब क्यों सिर धुनते,
बड़ा बुरा लगता था, कुछ भी कहने पर तुम्हें,
अब रो लो जीवन भर, फिर ना मिले शायद रोने.

मुरारी केडिया
9535033060.

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