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असम: मिजोरम पर तांबुल और केले के पौधे लगाकर जमीन पर कब्जा का आरोप

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अरविंद राय, हैलाकांदी, 28 जून (हि.स.)। असम सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद असम-मिजोरम सीमा पर मिजोरम की आक्रामकता जारी है। यह आरोप सीमाई इलाके में रहने वाले असम के निवासियों ने लगाया है। सीमा से सटे नये-नये इलाकों से हर दिन मिजो की आक्रामकता के बारे में नई जानकारी प्रकाश में आई है। हैलाकांदी जिला के कचौरथल, गुटगुटी और गल्लाछेड़ा के बाद अब जिला के बिलाईपुर क्षेत्र से आतिक्रमण की जानकारी सामने आई है।

 

आरोपों में कहा गया है कि अतिक्रमण के लिए मिजोरमवासी अब सीमावर्ती इलाकों में केला और तांबूल के पेड़ लगाकर असम की करीब 10 किमी हिस्से की जमीन पर कब्जा कर लिया है। मिजो के लोगों ने अस्थायी सड़क का निर्माण भी कर लिया है।

 

घटना की सूचना मिलने के बाद सोमवार को हैलाकांदी जिला वन अधिकारियों और पुलिस की बड़ी टीम मौके पर पहुंची। लेकिन वहां मिजो लोगों और मिजोरम के वन अधिकारियों ने असम पुलिस को पौधों तक पहुंचने से रोक दिया।

 

इस घटना के विरोध में सोमवार को किसान मुक्ति संग्राम समिति (केएमएस) द्वारा असम की भूमि पर कब्जा करने वाले मिजोरम के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन किया। केएमएस सदस्यों ने असम सरकार, वन मंत्री परिमल शुक्लबैद्य और मिजोरम सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

 

केएमएस के केंद्रीय समिति के सांगठनिक सचिव जहीर उद्दीन लस्कर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि असम सरकार की मूक भूमिका के कारण मिजोरम को असम की जमीन पर कब्जा करने का मौका मिला है। उन्होंने वन मंत्री परिमल शुक्लबैद्य की भी आलोचना करते हुए कहा कि पहले मिजोरम के खिलाफ बेदखली कर असम की जमीन को बचाएं और बाद में असम के जंगलों में रहने वाले लोगों को बेदखल करें।

 

वहीं काटलीछेड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुजाम उद्दीन लस्कर ने मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा से असम-मिजोरम की सीमाई विवाद को सुलझाने और इसका स्थायी समाधान कर सीमा पर कंटीले बाड़ लगाने की मांग की है।

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