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असम विधानसभा के विशेष सत्र में स्वतंत्रता सेनानियों को किया गया याद -हर घर तिरंगा अभियान बना जन आंदोलनः मुख्यमंत्री

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गुवाहाटी, 17 अगस्त (हि.स.)। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर बुधवार को असम विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया। चार घंटे के लिए आहूत सत्र में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव पिछले वर्ष आरंभ किया गया था। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर गत 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान का आयोजन किया गया। इसको सफल बनाने के लिए असम सरकार की ओर से व्यापक तैयारियां की गयी थी, जिसके चलते यह एक जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गया।

उन्होंने कहा कि इसमें स्वयं सहायता समूहों के साथ आम लोगों की बड़े स्तर पर सहभागिता रही। मुख्यमंत्री ने ग्वालपारा जिला में 92 वर्षीय बुजुर्ग और उनकी पत्नी द्वारा तिरंगा झंडा फहराने का जिक्र करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि लोगों में इसको लेकर कितना उत्साह था।

उन्होंने कहा कि विद्रोही संगठनों के विरोध के बावजूद स्वतः स्फूर्त भाव से जनता ने भाग लिया यह मेरे जीवनकाल का ऐसा पहला दृश्य था, जिसमें आम लोगों ने पूरे उत्साह के साथ स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि जनता ने साफ मैसेज दे दिया कि हम भारतीय हैं। हमने 15 अगस्त को विद्रोही संगठनों का आह्वान किया था कि वार्ता के जरिए समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने राज्य में 1828 और 1830 में हुए विद्रोह का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे पूर्वोत्तर में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह हुआ था। 1857 में हुए सिपाही विद्रोह का असम में मणिराम देवान ने नेतृत्व किया था, जिसमें पूर्वोत्तर के अनेकों लोगों ने हिस्सा लिया था।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अंडमान स्थित सेल्यूलर जेल का दर्शन करने के लिए हमने एक योजना बनाई है। इसके तहत राज्य के 1000 युवाओं को सेल्यूलर जेल का भ्रमण कराया जाएगा। इस जेल में असम समेत पूर्वोत्तर के काफी संख्या में स्वतंत्रता सेनानियों को बंद किया गया था। हमें अपने इतिहास को अपने युवाओं तक पहुंचाना होगा। युवा वहां जाकर यह देख सकेंगे स्वतंत्रता सेनानी किन परिस्थितियों में वहां रहे।

फुलगुरी धेवा को भारत का पहला कृषक विद्रोह बताते हुए किसान आंदोलन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि लाचित बोरफुकन के जीवन चरित्र को पूरे देश में फैलाने के लिए हमने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है कि वे अपने यहां बच्चों के पाठ्यक्रमों में इसे शामिल करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पथरुघाट में अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग की तरह ही लोगों पर बर्बरता किया था, हालांकि इसका उस तरह से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी के असम भ्रमण की चर्चा करते हुए कहा कि उस दौरान बड़ी संख्या में छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़कर आंदोलन में शामिल हुए थे। इसमें महिलाओं की भी बड़ी हिस्सेदारी थी। अंग्रेजों के विरुद्ध 1929 में महिलाओं के द्वारा आंदोलन में हिस्सा लेने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 1942 में देश के अन्य हिस्सों की तरह असम में भी बड़ी संख्या में लोग आंदोलन में शामिल हुए।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जोरहाट जेल की 300 बीघा जमीन में से 150 बीघा जमीन पर स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अमृत उद्यान बनाने का निर्णय सरकार ने लिया है। इसके लिए प्रारंभिक कार्य शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री ने देश की आजादी में अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि हमें अपने इतिहास को सहेज कर रखना होगा और इसे आने वाली पीढ़ी को बताना होगा कि हमारी आजादी का क्या महत्व है। साथ ही उन्होंने कहा कि 14 अगस्त को हमने विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाया, इस दिन हमारे देश का बंटवारा हुआ था। इसे भी हमें याद रखना होगा।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के बसंत दास ने असम और देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कांग्रेस के योगदान पर प्रकाश डाला। वहीं, एआईयूडीएफ के विधायक ने कहा कि जमीयत उलेमा हिंद और दारुल उलूम देवबंद ने भी स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लिया था।

भाजपा के पद्म हजारिका, असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा समेत अन्य विधायकों ने स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्र भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। अन्य वक्ताओं में कांग्रेस की नंदिता दास, भाजपा की अजंता नेउग, यूपीपीएल के यूजी ब्रह्म, भाजपा के बिश्वजीत फूकन, कांग्रेस के दिगंत बर्मन, भाजपा के कौशिक राय, एआईयूडीएफ के अमिनुल इस्लाम, भाजपा के सिद्धार्थ भट्टाचार्य, कांग्रेस के कमलाक्ष्य दे पुरकायस्थ, अमिनुल इस्लाम (जूनियर), दुर्गादास बोडो, डॉ. नोमल मोमिन, मनोरंजन तालुकदार, विद्यासिंग इंग्लेंग, केशव महंत, रकीबुल हुसैन, नव कुमार दलै, अखिल गोगोई, जाकिर हुसैन, शेरमान अली शामिल थे।

सदन आरंभ होते ही विधानसभा अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी ने शोक प्रस्ताव पढ़कर सुनाया। साथ ही कहा कि विशेष सत्र 4 घंटे तक चलेगा।

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