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आईडब्ल्यूएआई और एचसीएसएल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

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भारतीय अंतर्देशीय जल प्राधिकरण और हुगली कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच गुरुवार की शाम को एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा, बंदरगाह, नौवहन और जलमार्गों के केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनू ठाकुर, असम के परिवहन विभाग के मंत्री चंद्र मोहन पटवारी, सांसद क्वीन ओजा, बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव डॉ संजीव रंजन आदि मौजूद थे।इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि उनके शासनकाल में पांडू पोर्ट को आधुनिक रूप से तैयार करने के लिए आधारभूत ढांचा पर जोर दिया गया था। जिससे पांडू पोर्ट से विभिन्न जगहों पर सामानों को लाने और ले जाया सकता है। उन्होंने कहा कि सन 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों की विकास की ओर ज्यादा महत्व दिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में पूर्वोंत्तर के उत्पाद चाय, कोयला, तेल आदि ब्रह्मपुत्र नद से बंगाल की खाड़ी से महासागर के जरिए विश्व के दरबार में पहुंचाकर आर्थिक सफलता पर जोर दिया गया था।स्वाधीनता के बाद कांग्रेस शासनकाल में जलमार्ग के विकास पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन, अब पांडू पोर्ट को जहाजों की मरम्मत करने के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि जलमार्ग पर यातायात की अनेक सुविधाएं हैं। ब्रह्मपुत्र तथा बराक नदियों का अध्ययन कर केंद्र सरकार व राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से काम करना होगा। पांडू में जहाज मरम्मत का काम शुरू होने पर पूर्वोंत्तर आर्थिक रूप से और भी विकासित होगा।
मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नद में कुल 200 जहाज आवाजाही करते हैं। ये जहाज़ जब खराब हो जाते हैं तब उनकी मरम्मत के लिए कोलकाता जाना पड़ता है। जिसके चलते काफी खर्च होता है और समय भी ज्यादा लगता है। जल मार्ग परिवहन से प्रदूषण कम होगा, खर्च भी कम होगा और पर्यटन व्यवस्था और भी उन्नत होगी। पांडू पोर्ट में छोटे, बड़े जहाजों की मरम्मत होने से स्थानीय लोग आर्थिक रूप से लाभान्वित होंगे।
कुल 75 कोरोड़ रुपये की एक परियोजना पर आज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। जिस पर काम शुरू होगा और 2023 तक इस परियोजना का काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे इनलैंड वॉटर सेक्टर में आनेक नई संभावनाओं के मार्ग खुलेंगे। ब्रह्मपुत्र जलमार्ग के द्वारा पड़ोसी देशों के साथ भी यातायात व्यवस्था और भी मजबूत होगी।
इस संदर्भ में सांसद क्वीन ओजा ने कहा कि ब्रिटिश शासन काल में सन 1918 से 1965 तक पांडू पोर्ट पर जहाजों की आवाजाही होती रही है। पुराना सराईघाट सेतु बनकर तैयार हो जाने के बाद पांडू पोर्ट पर धीरे-धीरे जहाजों का परिचालन बंद हो गया।
इस अवसर पर मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा है कि कई दशक से पूर्वोंत्तर में ईस्टर्न और वेस्टर्न जोन के बीच संपर्क ठीक नहीं हो पा रहा था। विकास में जो बाधा आ रही थी अब वह समाप्त होने वाली है। पांडू पोर्ट में शिप रिपेयरिंग की जो व्यवस्था बन रही है उससे बांग्लादेश के साथ यातायात का संबंध बेहतर होगा और आधारभूत ढांचा भी उन्नत होगा।
उन्होंने कहा कि जलमार्ग द्वारा कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पादों की ढुलाई कम खर्चीला है। क्योंकि, नदियां, नहरे तथा समुद्र में उपलब्ध पानी की गहराई प्राकृतिक है। जो आसान यातायात को सुगम बनाते हैं।
भारत और बांग्लादेश के बीच एक अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार समझौता मौजूद है। इस समझौते के तहत एक देश के अंतर्देशीय जलमार्ग दूसरे देश के निर्दिष्ट मार्गों से यातायात कर सकते हैं। हाल के दिनों में भारत और बांग्लादेश ने जल मार्ग का उपयोग बनाने हेतु बड़े कदम उठाए हैं।

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