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कानून को ताक पर रख राज्य में चल रहे अवैध बूचड़खाने, खुले में दुकान

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महिला पशु प्रेमी का आरोप, कार्रवाई से बच रही पुलिस
गुवाहाटी, 08 फरवरी (हि.स.)। असम पशु माफिया के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह का केंद्र बन गया है। जबकि, बीएसएफ भारत-बांग्लादेश सीमाई क्षेत्रों में मवेशियों की तस्करी को रोकने के लिए काम कर रही है। वहीं राज्य में अवैध मवेशी बाजार और खुले बूचड़खाने हर नुक्कड़ और चौक-चौराहों पर उग आए हैं। मजेदार बात यह है कि यह सब पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है।

यह आरोप सोमवार को गुवाहाटी प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिल्ली से असम का भ्रमण करने पहुंची महिला अधिवक्ता श्रेया अग्रवाल और पशु प्रेमी श्वेता सिंह ने लगाया। उन्होंने राज्य में गत एक सप्ताह के दौरान पुलिसिया कार्रवाई और अपने द्वारा इस अवैध कारोबार के विरूद्ध पुलिस के साथ मिलकर चलाये गये अभियानों के सबूतों को ब्यौरा के साथ साझा किया।

उन्होंने बताया कि गत 01 फरवरी को नगांव जिला के कलियाबर में महिला पशु प्रेमी द्वारा इलाके से 30 ट्रकों में पशुओं की तस्करी के संबंध में दी गयी जानकारी के बाद भी एसपी, थाना प्रभारी किसी ने भी कोई महत्व नहीं दिया। इतना ही नहीं कलियाबर थाना प्रभारी ने महिला कार्यकर्ता के साथ दुर्व्यवहार भी किया। आसपास के थानों को भी इसकी सूचना दी गयी, किसी ने भी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। जिसके चलते पशु तस्कर आराम से निकल गये।

जबकि, 04 फरवरी को सदर कब्रिस्तान के सामने कबाड़खाना मार्केट में खुलेआम पशुओं को काटकर बेचे जाने को लेकर महिला पशु कार्यकर्ता ने सदर थाने में कानून का खुलेआम उल्लंघन किये जाने पर कार्रवाई की मांग करते हुए एक लिखित शिकायत दी। थाना के सहायक इंचार्ज ने शिकायत लेने से इंकार करते हुए कहा कि जब थाना प्रभारी आएंगे तो वे उनके सामने इस मामले को पेश करें।

इसी तरह गत 05 फरवरी की शाम को उदालगुरी जिला के लालपुल स्थित साप्ताहिक बाजार में भी खुलेआम पशुओं का काटकर मांस बेचे जाने का मामला सामने आया था। इसके संबंध में महिला कार्यकर्ता द्वारा स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। पुलिस के साथ बाजार में पहुंची महिला पशु प्रेमी को देख मांस का कारोबार करने वाले फरार हो गये। पुलिस उन्हें भागते हुए देखती रह गयी। इसी तरह की घटना धुला मार्केट में भी देखी गयी। जहां पर थाना से महज 100 मीटर की दूरी पर खुले में पशुओं को काटकर बेचा जा रहा था।

श्रेया व श्वेता ने बताया कि उपरोक्त जितने भी मामलों का जिक्र किया गया है, उन सभी स्थानों पर कानून का पूरी तरह से उल्लंघन किया जा रहा है। यह सब धारा 268, 428, 429 आईपीसी, धारा 11 (ए), (डी), (एच), (के) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; धारा 5, 6 असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950; पशु परिवहन रूल्स, 1978; स्लॉटर हाउस रूल्स, 2001; एस. 125ई केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के घोर उल्लंघन में आते हैं।

वहीं 07 फरवरी को बिश्वनाथ चाराली में पुलिस अधीक्षक को दी गयी सूचना के आधार पर आठ वाहनों को पुलिस ने जब्त कर पशुओं को छुड़ाया। ऐसे में सवाल उठता है कि कुछ पुलिस कर्मी तो कानून का पालन करने में पूरी तरह से तत्पर दिख रहे हैं, जबकि कुछ इलाकों में वे अपराध को रोकने के लिए कुछ भी नहीं करते।

उन्होंने कहा कि सुबह 02 बजे तक महिला कार्यकर्ता थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश करती रही, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सिर्फ वरिष्ठ राजनेता और प्रशासन के प्रभाव में ही प्राथमिकी दर्ज होती है। ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की आवश्यकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद

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