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खंडेलवाल परिवार के सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व अमरनाथ खंडेलवाल जी नहीं रहे

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खंडेलवाल परिवार के सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व अमरनाथ खंडेलवाल जी नहीं रहे

विशेष प्रतिनिधि शिलचर, 19 फरवरी: पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे शिलचर के सुप्रतिष्ठित व्यवसायी और समाजसेवी 84 वर्षीय अमरनाथ खंडेलवाल जी का आज कोलकाता स्थित निवास पर स्वर्गवास हो गया। पिछले कई महीने से उनका कोलकाता में ही इलाज चल रहा था। वह अपने पीछे तीन पुत्र राजेश, राकेश और अमित सहित भरापुरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन से शिलचर में शोक छा गया। पूरा परिवार कोलकाता में होने के चलते लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
उनका पार्थिव शरीर 20 फरवरी मंगलवार को कोलकाता से शिलचर लाया जाएगा। अपराह्न 3.00 बजे मेहरपुर स्थित निवास से उनकी अंतिम यात्रा मेहरपुर, हैलाकांदी रोड, हॉस्पिटल रोड, प्रेमतला, शिलोंगपट्टी, लायंस आई हॉस्पिटल, जेल रोड और अम्बिकापट्टी होते हुए श्मशान घाट पहुँचेगी । शिलचर श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शिलचर- असम के प्रतिष्ठित खंडेलवाल परिवार में 15 मई 1940 को जन्में माननीय अमरनाथ खंडेलवालजी ने 1957 में गुरुचरण महाविद्यालय शिलचर से वाणिज्य स्नातक में चौथा स्थान प्राप्त किया तथा 1964 में विधि स्नातक में ए. के. चंद लॉ कालेज से प्रथम स्थान प्राप्त किया। शिलचर के प्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित गिने-चुने समाजसेवियों में से एक नाम अमरनाथ खंडेलवालजी का है।
1978 में आप लायंस क्लब आफ शिलचर सेन्ट्रल के अध्यक्ष, सेठ छोटेलाल एजुकेशनल ट्रस्ट शिलचर के
अध्यक्ष, बराक हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष, शिलचर लायन्स आई हॉस्पिटल के 20 साल तक चेयरमैन, सिद्धेश्वर बारुणी मेला कमेटी के 47 वर्षों से सचिव, छोटेलाल हिन्दी पाठशाला के अध्यक्ष, काछाड़ हिंदू मिलन मंदिर के 15 वर्ष तक अध्यक्ष, पूर्वोत्तर प्रदेशिय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष, इंडियन रेडक्रास सोसाइटी शिलचर के आजीवन सदस्य, डीएसए के आजीवन सदस्य, लायन्स क्लब के डेपुटी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सहित विभिन्न दायित्वों का पालन, आदर्श भक्त मंडल शिलचर के अध्यक्ष, भारत विकास परिषद शिलचर के अध्यक्ष, श्री हरिसभा शिलचर के अध्यक्ष, नरसिंह विग्रह शिलचर के अध्यक्ष सहित अनगिनत संगठनों के विभिन्न दायित्वों का आपने भली भाँति निर्वाह किया। शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के बावजूद अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग और सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने 1972, 1976, 1978 में तीन कार रैलियों में भी भाग लिया। पहली रैली 7000 किमी थी। उन्होंने थाइलैण्ड, हांगकांग, जापान, लंदन, पेरिस, स्वीट्जरलैण्ड और बांग्लादेश की यात्राएं की। उनके पास अनुभव का विशाल भण्डार था। उनकी उपलब्धियों एवं कृतित्व की सूची इतनी लंबी है कि यहां बका उल्लेख कर पाना असंभव है। एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व था अमरनाथ जी का।
बराक घाटी के हिंदीभाषी समाज का एक और नक्षत्र पतन हो गया। उनका निधन समाज लिए अपूर्णीय क्षति है। हिंदीभाषी समन्वय मंच और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भगवान से उनकी आत्मा को शांति और मुक्ति के लिए प्रार्थना की है।

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