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गुवाहाटी पांचजन्य भवन में सम्पन्न हुई सरस्वती पूजा

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विहिप गुवाहाटी महानगर ने पांचजन्य भवन में विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा विधि- विधान से पं. शिवशंकर शर्मा जी ने की, जिसके प्रमुख यजमान विनय ठाकुरिया जी रहे। पंडित जी ने सभी धर्म प्रेमी बन्धुओं से बुद्धि प्रदान करने वाली सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत वाणी, वाग्देवी,भगवती शारदा, सरस्वती देवी की वंदना कराई एवं वसंतपंचमी पर्व महत्व बताया। हमारा देश कृषि प्रधान है, इसमें लोग प्राकृतिक सौन्दर्यता पर निर्भर रहते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्यता को निखार देने वाली ६ ऋतुएँ हैै, जिनमें से एक ऋतु वसंत ऋतु होती हैै। जिसमें न अधिक गर्मी और न हीं शीत होती है। ऐसे समय में लोगो के अन्दर एक समर्पण की भावना जागृत होती हैंं। जैसे पेड़ों के अन्दर इस ऋतु में पेड़ अपने सम्पूर्ण पत्ते समर्पित कर देते है और नये नये पत्ते धारण कर लेते है। यह समर्पण का भाव हमें पेड पौधो से लेना चाहिए। जिससे स्वरूप प्राप्त होता है, यही ऋतु जिसमें वसंत पंचमी का उत्सव को बडे़ धूम धाम से मनाते है और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का विधान पूर्वक लोग घरों, संस्थानों में पूजन करते हैं। जिससे ज्ञान का भण्डार उनको प्राप्त होता रहे और अपना कार्य विधान पूर्वक करते रहे और सफलतायें प्राप्त होती रहें। इसी दिन किसान अपनी नयी फसलें आने के कारण नये फल, गन्ना, गेहूँ, जौ, चना की बालों को माँ सरस्वती के कलश में रखकर खुशी में पूजन करते हैं और अपनी सेवा रुपी समर्पण के फल की कामना करते हैं।

लोक कल्याण के लिए समर्पण आवश्यक है, कहा जाता है कि लोक कल्याण के लिए भगवान शंकर ने जहर पी डाला और लोक कल्याण के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर टांग रखाा। जिससे प्राणियों की रक्षा हुई, उन में भी यही समर्पण का भाव था! आज हम सभी भारतवासी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर पर भव्य और दिव्य मन्दिर निर्माण के लिए समर्पण पवित्र मन हृदय से कर रहे है। पृथ्वी पर प्रकृति के सृजन एवं नवनिर्माण का समय है वसंत। शरद ऋतु जाने के बाद वसंत का आगमन हुआ है और अब सब तरफ प्रकृति पल्लवित होकर नाना प्रकार पुष्पित होकर मदमस्त करने वाली मंद पवन प्रवाहित करेगी । चारों ओर फूलों से सुगंधित वायुमंडल होगा। इस प्रकार हम सबके जीवन को भी नई उर्जा मिलेगी। इस नई ऊर्जा से परिपूर्ण हो कर हम अपने जीवन का नव निर्माण कई गुना करने में सफल होंगे। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद गोरक्षा केन्द्रीय मंत्री- उमेश चन्द्र पोरवाल, विहिप प्रान्त अध्यक्ष डा.मुनेन्द्र मोहन डेका, विहिप प्रान्त मंत्री पल्लव परासर, रामानंद यादव, मुनेन्द्र डेका प्रमोद राय, महेन्द्र राजपूत, राकेश रंजन, हितेश मेधी, नैना राभा, श्रीमती जुली राभा, दीपन दा, सुबुराव जी आदि कार्यकर्तागण उपस्थित रहें।

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