फॉलो करें

जेएन मेमोरियल एच एस स्कूल अगिया ग्वालपाड़ा में प्रधानाचार्य की अवैध नियुक्ति के खिलाफ शिकायत पर 4 वर्षों में नहीं हुई कोई कार्रवाई

240 Views

जेएन मेमोरियल एच एस स्कूल अगिया ग्वालपाड़ा के वरिष्ठ शिक्षक गोपीचंदजी पिछले साढ़े 3 वर्षों से विद्यालय में प्रधानाचार्य की अवैध नियुक्ति पर सवाल उठाते रहे हैं लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई.

14 अक्टूबर 2020 को वर्तमान जिला विद्यालय निरीक्षक कल्याण चक्रवर्ती को शिकायत करने के बाद 21 दिसम्बर व 24 दिसम्बर 2020 तथा 2 जनवरी को फिर से इंक्वायरी हुई है. इंक्वायरी टीम ने एक बार फिर सभी कागजात चेक करके विस्तृत इंक्वायरी की है. उसका परिणाम अभी तक पता नहीं चला. उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति मुझसे साढ़े 4 साल जूनियर है तथा उसके शैक्षिक योग्यता का प्रमाण पत्र संदिग्ध है, उसे विद्यालय का प्रिंसिपल बनाया गया और मेरे साथ अन्याय, धोखाधड़ी किया गया। गोपीचंद जी ने बताया कि उप प्रधानाचार्य के लिए भेजी गई तालिका में भी उनके साथ धोखाधड़ी की गई है. उनकी डिग्री केवल स्नातक दिखाई गई है, जबकि वे एम ए. और बी एड है. उन्हें प्रधानाचार्य बनने से रोकने के लिए अवैध रूप से नियुक्त वर्तमान प्रधानाचार्य अनेक प्रकार की साजिशें कर रहा है. वरिष्ठ अधिकारी शिकायत करने पर बार-बार समय लेते हैं, दिन महीना साल भी बीत रहा है. पिछले साढे़ 3 वर्षों से केवल टालमटोल करके मुझे न्यायालय जाने से रोका जा रहा है, यदि इस बार न्याय नहीं मिला तो मैं अदालत की शरण में जाऊंगा.

31 जनवरी 2017 को जेएन मेमोरियल एच एस स्कूल अगिया ग्वालपाड़ा के इंचार्ज प्रिंसिपल विराज चक्रवर्ती के रिटायर होने पर नियमानुसार विद्यालय के वरिष्ठतम शिक्षक गोपीचंद प्रसाद को प्रधानाचार्य बनाया जाना चाहिए था किंतु उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए उनसे 4 1/2 साल जूनियर अब्दुल हक को जो सहायक अध्यापक थे, उन्हें इंचार्ज प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने बार-बार शिक्षा निदेशालय में डायरेक्टर से मिलकर लिखित रूप से शिकायत की किंतु आज तक उसका कोई परिणाम नहीं निकला। गोपीचंद जी ने बताया कि 24 नवंबर 2016 को विद्यालय में प्रधानाचार्य के लिए साक्षात्कार लिया गया था। साक्षात्कार लेने वालों में 2 मेंबर अब्दुल रहमान और अफुजा बेगम ने मुस्लिम कैंडिडेट अब्दुल हक का पक्ष लेते हुए मुझे तथा अब्दुल हक से वरिष्ठ और मुझसे जूनियर मनिंदर दास और कर्णकांत राय को हटाकर अब्दुल हक को इंचार्ज प्रिंसिपल का पद देकर मेरे साथ धोखाबाजी किया। उस समय भी मीडिया में इस अन्याय के बारे में आवाज उठी थी। गोपीचंद जी ने इस विषय में शिक्षा निदेशालय के निदेशक फनीन्द्र जूदुंग से कई बार मुलाकात की और उन्हें लिखित शिकायत भी दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

गोपीचंद जी ने बताया कि मुझे झूठा दिलासा देते रहे कि आपका काम हो जाएगा ताकि मैं और आगे मंत्री तक ना जाऊं। उन्होंने कहा कि अब्दुल हक की एम. ए. की डिग्री पर सवालिया निशान है, एम. ए. . की परीक्षा देने के लिए उसने कोई छुट्टी नहीं ली। उसके सर्विस रिकॉर्ड में परीक्षा के लिए छुट्टी लेने का कोई जिक्र नहीं है। मेडिकल लीव लेकर कोई बीमार व्यक्ति परीक्षा कैसे दे सकता है? उन्होंने कहा कि ऐसा सुनने में आता है कि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से लोग उस समय 10,000-15,000 रुपए में डिग्री खरीदते थे। उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति 22 मार्च 1990 को इस विद्यालय में हुई, जबकि अब्दुल हक की नियुक्ति 20 अप्रैल 1994 को हुई। गोपीचंद जी ने सवाल उठाया कि उनसे 4 साल से ज्यादा जूनियर को कैसे इंचार्ज प्रिंसिपल बना दिया गया?

गोपीचंद जी की शैक्षिक योग्यता बीएससी, एम. ए., शिक्षण पारंगत तथा बीएड प्रवीण है। उनसे जूनियर को प्रधानाचार्य बनाए जाने पर उन्होंने 6 मार्च 2017 को सेकेंडरी एजुकेशन के डायरेक्टर फणींद्र जुदूंग को मिलकर लिखित शिकायत की थी। ‌ जिसमें उन्होंने अब्दुल हक के एम. ए. की डिग्री पर सवाल भी उठाया था कि बिना छुट्टी लिए वह एम. ए. कैसे कर लिया? मेरे शिकायत के आधार पर 12 सितंबर 2017 को डायरेक्टर ने डिप्टी डायरेक्टर को हियरिंग का आदेश दिया था। डिप्टी डायरेक्टर ममता होजाई ने हियरिंग में केवल मेरा ही डॉक्यूमेंट देखा जबकि अब्दुल हक के बारे में कुछ भी जांच नहीं किया। गोपीचंद जी ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि अब्दुल हक को प्रिंसिपल का पद देने में रुपए का खेल हुआ है। हियरिंग का कोई परिणाम नहीं मिलने पर गोपीचंदजी ने फिर से 26 फरवरी 2019 को डायरेक्टर को पत्र लिखकर कारण पूछा था कि उन्हें प्रिंसिपल का पद क्यों नहीं दिया गया?

गोपीचंद जी का कहना है कि विद्यालय का वरिष्ठतम शिक्षक होने के बावजूद तथा अनुसूचित जाति का होने के बावजूद उन्हें प्रिंसिपल के पद से अन्याय पूर्वक वंचित किया गया। ‌ निदेशक को लिखे गए शिकायती पत्रों का आज तक कोई उत्तर नहीं मिला। ‌ 12 सितंबर 2017 को हियरिंग के बाद डायरेक्टर और स्कूल इंस्पेक्टर निपेन दास ने मुझे कहा था कि आपका नाम प्रिंसिपल के लिए भेजा गया है, कृपया आप मंत्री के पास ना जाए। ये लोग पिछले साढ़े 3 साल से झूठा दिलासा देकर मुझे ठग रहे हैं, मेरे साथ धोखाबाजी कर रहे हैं। 14 जुलाई 2018 से अब्दुल हक को टेंपरेरी इंचार्ज प्रिंसिपल से फुल चार्ज प्रिंसिपल बना दिया गया।‌ मैं न्याय पाने के लिए दर-2 भटक रहा हूँ.

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल