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त्रिपुरा-मिजोरम सीमा के पास बीएसएफ ने 86 मवेशियों को जब्त किया

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धर्मनगर प्रतिनिधि : त्रिपुरा-मिजोरम सीमा के पास शिबलोंग से म्यांमार नस्ल के मवेशियों के परिवहन के संबंध में 28 मई 2023 को एक खुफिया जानकारी पर तेजी से कार्रवाई करते हुए बीएसएफ ने 86 मवेशियों को जब्त किया है और 18 अपराधियों को गिरफ्तार किया है। जिनमें 18 वाहन शामिल हैं। यह घटना त्रिपुरा के धलाई जिले के लोंगतोराई वैली के मनु पुलिस थाना क्षेत्र के शिबबाड़ी इलाके में हुई। जब्त मवेशियों को बाबा गोरखनाथ गोशाला ट्रस्ट द्वारा संचालित “बाबा गोरखनाथ गोशाला”, राजनगर, धर्मनगर उत्तरी त्रिपुरा में स्थानांतरित कर दिया गया।
बी.एस.एफ. के सूत्रों ने बताया कि बी.एस.एफ. त्रिपुरा की 105 बटालियन की एक टीम ने त्रिपुरा के धलाई जिले के मनु पुलिस स्टेशन के अंतर्गत माचली बाजार के पास शिवबाड़ी के ट्राइ-जंक्शन पर कड़ी निगरानी रखी। सुबह करीब चार बजे मवेशी लदे वाहन लक्ष्य क्षेत्र में पहुंचे। बी.एस.एफ. की टीम ने मवेशियों को ले जा रहे 20 वाहनों को रोका, जिसका नेतृत्व एक प्रमुख वाहन (महिंद्रा स्कॉर्पियो) कर रहा था, और पशुधन के अवैध परिवहन में शामिल 18 लोगों को गिरफ्तार किया।
18 वाहनों में कुल 86 मवेशी बरामद किए गए। 86 में से 3 गायें ऐसी थीं जो पहले ही मर चुकी थीं और तीन गिर गईं। इन गायों की अनुमानित बाजार कीमत 9 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। राज्य में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में तस्करी की गई गायों को एक साथ छुड़ाया गया है। हालांकि, तीन गायों की मौत का कारण वाहन में जगह कम होना बताया जा रहा है। वहीं तीन गायें बीमार हो गईं। खबर फैलने पर विभिन्न संस्थाओं जैसे बिश्व हिन्दू परिषद् के जिला पदाधिकारी गोशाला पहुंचे। पर अभी तक कही से भी कोई सहयोग नहीं मिल पाया है। अत्यंत कठिन परिस्थिति में गौशाला परिचालन कमिटी इन गायोंको का पालन पोषण कर रहे है।
इसी तरह 30 मई 2023 को दामछढ़ा पुलिस ने उत्तरी त्रिपुरा जिले के अंतर्गत तस्करी के दौरान 12 से अधिक मवेशियों को जब्त किया और उनकी पालन और देखभाल के लिए फिर से “बाबा गोरखनाथ गोशाला” भेज दिया।
अनुरोध पर पशु चिकित्सकों ने गोशाला का दौरा किया और घायल गायों की प्रारंभिक देखभाल की। डॉक्टरों की जांच और प्रारंभिक देखभाल के बाद पता चला कि इन 98 गायो में से 89 गायों को बुखार है, 4 गायों की पूंछ गंभीर रूप से जख्मी है, 18 गायों के शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें हैं, 15 गायों के सींग और घाव क्षतिग्रस्त हैं और 11 गायों के चेहरे में श्लेष्मा है। गायों के लिए स्थिति गंभीर है क्योंकि उन्हें मिनी ट्रकों में बहुत ही जर्जर हालत में ले जाया जा रहा है। उन्हें कई दिनों तक निरंतर देखभाल की आवश्यकता होती है। पशु चिकित्सकों द्वारा निर्धारित दवाएं सरकारी हस्पताल में उपलब्ध नहीं होती हैं। जिला पशु चिकित्सा अस्पताल और इसलिए इसे स्थानीय पशु चिकित्सा फार्मेसी से खरीदने की आवश्यकता होती है और इसकी कीमत बहुत अधिक होती है।
दवा और चारे सहित गायों को देखभाल हेतु दैनिक लागत औसतन 23,000 रुपये से अधिक है। (दवा: 11000 + चारा: 12000/-) गोशाला जिम्मेदार नागरिकों से अनुरोध करती है कि हमें चारा या मवेशियों की देखभाल के लिए किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करें।
“बाबा गोरखनाथ गोशाला” के संस्थापक अध्यक्ष श्री कांति गोपाल देबनाथ मवेशियों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। 5 वर्षों से उनके निरंतर प्रयासों के कारण ऐसे जब्त किए गए मवेशियों की स्थिति अब उचित देखभाल के अधीन है।
पिछली ईद से बर्मी मवेशियों की तस्करी लगातार बढ़ रही है। हर तरफ से बड़ी संख्या में बर्मी मवेशियों को पुलिस और बी.एस.एफ. द्वारा संयुक्त रूप से जब्त किया जाता है। जिन्हें बाद में पालन और देखभाल के लिए “बाबा गोरखनाथ गोशाला” भेजा जाता है। पिछले कुछ महीनों में वानघमुन थाने से 36 बर्मी मवेशी, कुमारघाट थाने से 12 बर्मी मवेशी जब्त किए गए हैं। और कंचनपुर थाने से 24 बर्मी मवेशी।
रिपोर्टों से यह पता चला है कि वानघमुन, कुमारघाट और कंचनपुर से पूर्व में जब्त किए गए बर्मी मवेशियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा रिहा कर दिया गया था। इसके अलावा मालिकों को मवेशियों की रिहाई के लिए कोर्ट से रिहा करा लेते है। जब मालिक की पहचान अदालत द्वारा संतुष्ट हो जाती है, तो इसमें शामिल रैकेट व्यक्तियों से न्यूनतम शुल्क लिया जाता है। अदालत शायद ही कभी जब्त मवेशियों का फिटनेस प्रमाण पत्र मांगती है। ऐसे राज्य में पशुओं के प्रति क्रूरता के खिलाफ संवैधानिक प्रावधान क्या है, यह प्रश्न आज हर एक की मन में है।

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