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दुमदुमा के  प्राचीन नरसिंह ठाकुर बाड़ी में संचालन समिति एक छत्र दशकों से अपने अधिपत्य में रखने पर पार्षद  मिलन यादव ने जताया एतराज  

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दुमदुमा के समाजसेवी तथा वर्तमान पार्षद मिलन यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर तिनसुकिया जिले का दुमदुमा शहर का प्राचीन नरसिंह ठाकुरबाड़ी मंदिर हिंदीभाषी समाज के लिए सदियो से आस्था का केंद्र रहा है और आज भी है। विज्ञप्ति में बताया कि पूर्वजों के अथक प्रयास के कारण ही दुमदुमा नरसिंह ठाकुरबाड़ी का इतिहास काफी गौरव पुर्ण और सौहार्द भरा रहा है। वर्तमान की दुमदुमा नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति के कार्य प्रणाली से लेकर भव्य राम जानकी मंदिर निर्माण तक का कार्य देख एवं सुन जिस आंतरिक मन में खुशी की अनुभूति होती हैं, वह बयान करना कभी कभार मुश्किल सा प्रतीत होता। किंतु समय के साथ नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति मे परिवर्त्तन की लहरें दौर गई है। जो अब की परिस्थितियाँ कुछ और बयां करने के लिए काफी है। दुमदुमा नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिती तकरीबन बारह वर्ष से एक ही समिति बिना रोक टोक के कुछ खास लोगों के नेतृत्व में चल रही हैं  और अपने मन मुताबिक लोगो को नरसिंह ठाकुरबाड़ी का स्थान भी किराए में दे रही है.।  संविधान के नियामक के अनुसार इन चीजों  में  पारदर्शिता होना आवश्यक है । इस दरम्यान आम जनता से संवाद या कोई बैठक नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति के साथ न के बराबर है। उसके  सवाल उठाया कि हाल में ही मंदिर के  भगवान मुर्ति के सर की मुकट का चोरी हो जाना क्या वर्तमान संचालना समिति की अनुशासन हीनता नहीं है ? यह कहा तक उचित है यह तो दुमदुमा के हिंदी भाषी बुद्धिजीवी वर्ग ही बता सकते हैं । मंदिर निर्माण  और अन्य श्रोत जैसे (किराएदार) से लाखों पैसे का आय-व्यय हुआ होगा। जिसका लेखा-जोखा आम सभा में अपने तकरीबन बारह वर्ष के कार्यकाल में एक बार भी प्रस्तुत न कर पाना क्या नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति की अनुशासन हीनता नही दर्शाता है। इस बीच मंदिर निर्माण के नाम पर दो बार लाटरी भी आयोजन किया  गया  था  जिसका लेखा जोखा आज तक किसी को पता नहीं है।दुमदुमा पौर सभा के पार्षद ने विज्ञप्ति में आगे कहा कि   एक आम आदमी होने के नाते मेरी मंशा कदापि नहीं है कि नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति की खामियां को उजागर करु। “दुमदुमा नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति “के उद्देश्य को जमीनी स्तर पर उतारने  कि दिशा मे यह एक छोटा  सा प्रयास कर रहा हूं । ज्ञात हो कि “दुमदुमा नरसिंह ठाकुरबाड़ी “असम के प्राचीन मंदिरों में से एक हैं जिसकी स्थापना सन १८८९ में हुई थी। जो आर्थिक रूप से काफी  सशक्त है। इसलिए समिति के नेतृत्व वर्ग से  समस्त आम जनमानस आग्रह करना चाहेगी कि अपने ऐतिहासिक समाजिक योगदान को नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति याद करे। अपने संविधान के तहत अनुशासन के द्वारा एक वृहत्तर आम सभा का आयोजन कर आय व्यय प्रस्तुत कर एक अच्छे संचालन समिति का गठन करा कर ऐसा मिशाल स्थापित करे ताकि दुमदुमा समाज के लिए  वर्तमान नरसिंह ठाकुरबाड़ी संचालन समिति एक प्रेरणा बने।

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