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भाजपा सांसद डॉ. राजदीप राय के एक बयान से बराक घाटी के हिंदीभाषी संगठनों में आक्रोश, स्पष्टीकरण की मांग

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शिलचर : शिलचर के सांसद तथा भाजपा के प्रदेश महासचिव डॉ. राजदीप रॉय के एक बयान को लेकर हिंदीभाषियों में तीव्र विरोध हो रहा है। बुधवार को शहर में स्थित हिंदी भवन में दक्षिण असम के हिंदीभाषी व चाय जनजाति के संगठनों की एक संयुक्त बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता उदय शंकर गोस्वामी ने की। बैठक में 15 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
हिंदीभाषी व चाय जनजाति संगठनों का कहना है कि सांसद डा. रॉय ने गत दिनों मीडिया में एक बयान दिया था, जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस बराक घाटी में केवल दो बांग्लाभाषी को टिकट दिया है, जो हिंदू बंगाली के अस्तित्व के लिए खतरा करार दिया था। डॉ. रॉय ने कांग्रेस को घेरा था लेकिन उनके इस प्रकार के बयान से कुछ और भी अर्थ निकलते है।

हिंदीभाषी व चाय जनजाति संगठनों ने सीधे तौर पर इस बयान को अपने ऊपर ले लिया है, चूंकि कांग्रेस बराक घाटी में 15 में से 6 सीट पर कांग्रेस ने हिंदीभाषी को उम्मीदवार बनाया है। उदय शंकर गोस्वामी व अवधेश कुमार सिंह, जो भाजपा नेता भी है, ने मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस को घेरने के लिए मुद्दे का अभाव नहीं है।

लेकिन जो व्यक्ति एक सांसद और एक राष्ट्रीय दल का प्रदेश महासचिव है, उनके द्वारा इस तरह का बयान शोभा नहीं देता। इन दोनों ने सवाल किया भाजपा कब से जातिगत राजनीति करने लगी। भाजपा हिंदू , भारतीय संस्कृति की रक्षा की बात को तवज्जो देती आई है। गोस्वामी बोले भाजपा ने भी तो केवल दो हिंदीभाषियों को टिकट दिया है।

ऐसे में उनका समाज भी डॉ. राजदीप राय की भाषा बोले? बिलकुल नहीं। हिंदीभाषी समाज में डॉ. रॉय के बयान को लेकर जबर्दस्त विरोध दिख रहा है। पत्रकार वार्ता में डॉ. रॉय से इस बारे में एक स्पष्टीकरण देने की मांग की गई। बराक घाटी में केवल बांग्ला भाषी ही नहीं अन्य समुदाय के लोग भी रहते है, भाजपा सांसद ने केवल एक ही समुदाय के बारे में बात क्यों की। गोस्वामी ने कहा कि वह हिंदीभाषी समाज से आते है ऐसे में उनके समाज के लोगों में सांसद डॉ. रॉय के बयान पर चर्चा हो रही है।

चर्चा में यह निर्णय लिया गया कि डॉ. रॉय को अपनी तरफ से एक स्पष्टीकरण देना चाहिए। वहीं इस चुनाव में हिंदीभाषी समाज से विवेकपूर्ण मतदान करने का आग्रह किया गया। बैठक में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

श्रमिक यूनियन नेता सनातन मिश्रा, बराक हिंदी साहित्य समिति के महासचिव दुर्गेश कुर्मी सहित हरि नारायण वर्मा, प्रदीप कुर्मी, बाबुल नारायण कानू, कंचन सिंह, गोलक ग्वाला, युगल किशोर त्रिपाठी, मनीष पांडेय, राजन कुंवर, अरुण महतो, प्रमोद शर्मा, मनोज कुमार साह, रंजीत सिंह, राजीव कुमार राय, प्रमोद कुमार सिंह, देबानंद कुर्मी, गौतम ग्वाला, भाष्कर बरई, महावीर बरड़िया, रवि कुमार शुक्ल, पी साहू, राम नारायन नुनिया, प्रमोद जायसवाल, शुभम राय, पंकज मालू, बिनय सिंह आदि मौजूद थे।

इस बैठक में प्रमुख संगठनों में बराक हिंदी साहित्य समिति, हिंदीभाषी एवं चाय जन समुदाय मंच, अखिल असम भोजपुरी परिषद, बराक हिंदीभाषी ब्राम्हण समाज, असम क्षेत्रीय एकता संघ तथा हिंदीभाषी युवा मंच, सर्व हिन्दुस्तानी परिषद, अखिल भारतीय तैलिक साहू महासभा, बराक वैली कुर्मी समाज, बराक चाय जनगोष्ठी साहित्य व संस्कृति परिषद समेत अन्य संगठन के प्रतिनिधिगण उपस्थिति रहे।

साभार प्रभात पूर्व वेब पोर्टल

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