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मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव जयंत मल बरुआ

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हमारे विशेष प्रतिनिधि दिलीप कुमार ने जयंत मल बरुआ के बारे में जानकारी प्राप्त की और उनसे बातचीत की। इसके आधार पर प्रस्तुत है एक रिपोर्ट:

मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव जयंत मल बरुआ

2011 में नलबाड़ी से असम गण परिषद के अलका शर्मा को लगभग 40000 मतों से पराजित कर कांग्रेस के विधायक बने, जयंत मल बरुआ ने 2015 में कांग्रेस छोड़कर डॉ हेमंत विश्व शर्मा के साथ भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया। 2016 में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें असम टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन का चेयरमैन विद केबिनेट रैंक बनाया गया और उनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा। 2021 में उन्होंने चेयरमैन से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर नलबाड़ी से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के प्रदीप कुमार भुंइया को लगभग 50000 मतों से पराजित किया, उन्हें एक लाख से ज्यादा मत प्राप्त हुए। भाजपा ने उन्हें विधायक दल के नेता और असम सरकार के मुख्यमंत्री डॉ हेमंत विश्व शर्मा का राजनीतिक सचिव नियुक्त किया है। एक साथ वे विधायक, पार्टी और मुख्यमंत्री के सहयोगी 3-3 दायित्व पर पूरी दक्षता और कर्मठता के साथ काम कर रहे हैं। गतिशील व्यक्तित्व के स्वामी जयंत मल बरुआ एक प्रखर वक्ता के रूप में पहचाने जाते हैं।

जयंत मल बरुआ का जन्म 23 अक्टूबर 1971 को सुप्रसिद्ध लेखक स्वर्गीय कैलाश मल बरुआ के घर, माता कामिनी बरुआ के कोख से हुआ। बी बरुआ कॉलेज गुवाहाटी से उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा वहां पर छात्र यूनियन के महासचिव भी रहे। छात्र जीवन से ही डॉ हेमंत विश्व शर्मा के घनिष्ठ रहे। 2002 में जूली डेका से उनका विवाह हुआ, उनके एक पुत्र और एक पुत्री दो संतान है। वे लोअर असम के प्रतिष्ठित चनकुचिया मल बुजुरबरुआ परिवार से आते हैं।

छात्र जीवन से सामाजिक कार्यों में सक्रिय जयंत मल हितेश्वर सैकिया के संपर्क में आए और उन्होंने 1994 में कांग्रेस ज्वाइन किया। कांग्रेस के कई दायित्वों का उन्होंने निर्वाह किया। कांग्रेस के आम आदमी का सिपाही के असम के प्रमुख रहे। 2015 में भाजपा ज्वाइन करने के बाद भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता फिर प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए।

उनसे पूछे जाने पर की उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी, और भाजपा को क्यों पसंद किया? उन्होंने कहा कि कांग्रेस में लोकतंत्र नहीं है, ऊपर से निर्णय होता है, उसे मानना पड़ता है, कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। भाजपा में सामूहिक निर्णय होता है, सब की बात सुनी जाती है, पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस अल्पसंख्यक मतों पर निर्भर हो गई और भारतीय संस्कृति से दूर हो गई। भाजपा भारतीय संस्कृति के अनुरूप काम करती है, इसलिए भाजपा में काम करके हार्दिक संतुष्टि मिलती है। कांग्रेस में दबाव में काम करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि डॉ हेमंत विश्व शर्मा जब कॉटन कॉलेज में तीसरी बार महासचिव बने थे, तब वह बी बरुआ कॉलेज में महासचिव बने थे। उनके साथ छात्र जीवन से संपर्क है। कांग्रेस में 56 विधायकों ने हस्ताक्षर करके डॉ हेमंत विश्व शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आवेदन दिया था किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के चलते कांग्रेस के 9 विधायकों के साथ हेमंत विश्व शर्मा और मैं भाजपा में शामिल हो गए। पार्टी ने काम करने का मौका दिया और अपनी पूरी क्षमता के साथ मैं काम कर रहा हूं। गुवाहाटी रहकर भी मैं अपने विधानसभा में विधायक सेवा केंद्र के माध्यम से अपने क्षेत्र की जनता का हर काम करता रहता हूं। पार्टी का भी काम करता हूं, मुख्यमंत्री का भी करता हूं और अपने क्षेत्र की जनता का भी करता हूं। मुझे आनंद मिलता है, कोई समस्या नहीं है।

कोविड-19 की वर्तमान परिस्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि महामारी से बचाव के लिए जितनी जल्दी हो सके, सबको वैक्सीनेशन करवाना होगा। कम से कम 50% तक वैक्सीनेशन हो जाने से, कोरोना को नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी। मुख्यमंत्रीजी ने जनभागीदारी के लिए अपील किया था। पिछले 40 दिनों में लोगों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 125 करोड़ रुपए जमा कराए हैं, जनभागीदारी अब जन आंदोलन बन गया है।

कोविड-19 महामारी से अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी, विधवा को सहायता देने की जिम्मेदारी सरकार ने ली है तथा कोविड से पीड़ित जनता को अधिक से अधिक सुविधा देने की कोशिश भी सरकार कर रही हैं।

 

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