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भारत भाग्य विधाता मंगल पाण्डेय जी हेतु श्रद्धा सुमन – आचार्य आनंद शास्त्री

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हम सभी ने हमारे सम्माननीय श्री जवाहर लाल राय जी की अध्यक्षता में हमारे पथ-पाथेय दिलीप जी के अनवरत सहयोग से मंगल पाण्डेय चौक पर स्वतंत्रता-संग्राम के प्रथम बलिदानी युग-पुरूष शहीद मंगल पाण्डेय जी की भव्य मूर्ति स्थापित करने की प्रतिज्ञा की थी, एवं इसी संकल्प के अंतर्गत भगवान आशुतोष की असीम कृपा से रूद्र महायज्ञ की अभूतपूर्व सफलता के पश्चात हम पुनश्च अपने संकल्प को पूर्ण करने हेतु दृढ-प्रतिज्ञ हैं।

यह हमारे अस्तित्व एवम अस्मिता से सम्बंधित संकल्प है ! 

प्रिय मित्रों ! ये समूचा काछार, हाइलाकांदी तथा करीम(?)गंज क्षेत्र अपनी चाय बागानों की उर्वरकता के कारण समृध्दि के नये-नये मिथक गढता रहा है, इसके विकास में समूचे भारत वर्ष के सुदूर क्षेत्रों से आकर हमारे पूर्वजों ने यहाँ चाय-बागानों में अपने रक्त से सींच कर इन्हें समृद्ध किया।

दिवा स्वप्न दिखाकर अट्ठारहवीं शताब्दी के भी पूर्व से  मालगाडियों में भर-भर कर लाये गये बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, केरल, राजस्थान अर्थात भारत के सभी क्षेत्रों से हमें लाकर हमसे चाय बागान लगवाया गया, जंगलों को समतल कर हमने गांवों को बसाने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी, हमारी पीढियों को शिक्षा से वंचित रखा गया, हमारी शक्तियों का उपयोग प्रथम अंग्रेजी सत्ता ने किया और उसके पश्चात भारत वर्ष के विभाजन के उपरान्त पूर्वी पाकिस्तान से हिन्दू होने कारण अभिशप्त हमारे बांग्ला भाषी लोगों ने यहाँ अपने सम्बन्धियों की सहायता से अपने-आप को स्थापित किया, और ऐसा ही बंगलादेश के निर्माण पूर्व भी हुवा।

शिक्षा क्षेत्र में पिछड़ा होने के कारण हमें केवल और केवल एक–“वोट” समझा गया,भले ही किसी भी राजनैतिक दल की सरकार हों किन्तु हमारे साथ हमेशा ही दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया।

शताब्दियाँ व्यतीत हो गयीं, न जाने कितने तथाकथित आंदोलन हुवे ! किन्तु कुशल नेतृत्व के अभाव में हमें हमेशा ही कृत्रिम आश्वासन देकर अंततः नकार दिया गया, और साथ में एक अच्छा सा सम्बोधन–“कुली” का उपहार स्वरूप दे दिया गया !

प्रिय मित्रों ! जिस प्रकार स्वतन्त्रता संग्राम के प्रथम बलिदानी मंगल पाण्डेय जी को भी कांग्रेस ने विस्मृत कर दिया ! बिलकुल उसी प्रकार यहाँ सर्व प्रथम आये हमारे पूर्वजों के बलिदान को विस्मृत कर हमे भी बिलकुल निचले पायदान पर लाने के प्रयास को असफल करने हेतु हम संकल्पित हैं।

४५% से भी अधिक हमारी जनसंख्या होते हुवे भी ! २५% से भी अधिक जमीनी स्तर पर हिन्दी भाषी होते हुवे भी सरकारी आंकड़े हमारी संख्या लगभग ४% क्यूँ बताती है ,यह किसका षड्यंत्र है ?

मैं गर्व के साथ यह स्वीकार करता हूँ कि मेरे अपने घर में प्रणवानंद जी महाराज, रामकृष्ण परमहंस, बाबा लोकनाथ जी, सुभाष चन्द्र बोस, रविन्द्रनाथ टैगोर जी, आनंदमयी माँ आदि के चित्र हैं, हमारे देवालय में हैं। मेरे विचार से हमारे-आपके सभी के घरों में ऐसा ही होगा, हम साझा संस्कृति में विश्वास करते हैं,

निःसंदेह मंगल पाण्डेय जी की मूर्ति स्थापित होने से ऐसी मनोरम साझा संस्कृति के प्रकाश में काछार समूचे भारत में एक मिसाल प्रस्तुत करेगा।

आज सौभाग्य से हमारे प्रान्त में, हमारे काछार  में हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री जी की ही भांति असम के आज तक के इतिहास में सर्वाधिक लोकप्रिय हिन्दू हित रक्षक मुख्यमंत्री आदरणीय श्री हिमन्त बिस्वशर्मा जी के साथ-साथ हिन्दू समुदाय की संरक्षक भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है ! यहाँ के माननीय सांसद जी, विधायक गणों से लेकर लगभग सभी राजनैतिक-सामाजिक संगठनों में भा•ज•पा• का वर्चस्व है ।

निःसंदेह ऐसे स्वर्णिम अवसर बडे भाग्य से आते हैं ! इसी वर्ष मंगल पाण्डेय जी के बलिदान दिवस के अंतर्गत हुयी जनसभा में 

भा•ज•पा• के हमारे कई शुभचिंतक पदाधिकारियों ने सभी को आश्वासन दिया है कि वे लोग इस मूर्ति की स्थापना हेतु कृतसंकल्प हैं ।

इस निबंध के आलोक में आश्वस्त हैं हम सभी कि-“अहोम-राज्य” के तत्त्वावधान में इस भारतीय संस्कृति के उदय के अवसर पर, स्वतंत्रता के अमृत काल में हमारे सबके आदरणीय, सम्माननीय मुख्यमंत्री जी काछार की इस छोटी सी इच्छा को अवस्य ही पूर्ण करने में यहाँ के अपने सहयोगियों को इस हेतु समुचित सहायता प्रदान कर हमें अनुग्रहित करेंगे–“आनंद शास्त्री”

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