हिन्दुत्व का समर्थन अर्थात आजीवन कारावास–
इस्लाम,हदीस, कुर्रान की कुछेक शैतानी आयतों की कडवी सच्चाई जिसने भी बताने की कोशिश की,बाइबिल,फसह,और ईसाई मिशनरियों की जिसने भी सच्चाई बताने की कोशिश की !
आतंकवाद,अलगाववाद,लव-जेहाद और धर्मान्तरण की जिसने भी सच्चाई बताने की कोशिश की ! उन्हें पारितोषिक में अंततः -“स्वैच्छिक आजीवन कारावास” का दण्ड मिला।
संत रहीम दास,तसलीमा नसरीन से लेकर सलमान रश्दी तक ये सूची बहुत लम्बी हो सकती है,न जाने कितने लोगों के लिये फतवे निकाले गये,उनकी हत्या करने वालों को बहुत सारा धन पुरस्कार में देने का वादा किया गया,और परिणाम स्वरूप ऐसे हजारों सामाजिक कार्यकर्ता,संत,,साहित्यकारों एवं राजनैतिक व्यक्तित्वों की हत्या कर दी गयी।
“द कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी” के निर्माता और कलाकारों पर आतंकवादियों की भृकुटि तनी हुयी है ये सभी जानते हैं ।सन् १९२४ में लाहौर से आदरणीय राजपाल जी द्वारा
प्रकाशित-“रंगीला रसूल” जो अभी भी भारत में प्रतिबंधित है,इसके लेखक से लेकर स्वामी श्रद्धानंदजी तक की हुयी हत्या के विषय में आप सभी जानते हैं।और यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि-“यंग इंडिया” के अपने लेख में महात्मा(?) गांधी ने राजपाल जी द्वारा लिखित पुस्तक पर जब अदालत में कार्यवाही नहीं हुयी ! तद्कालीन न्यायाधीश श्रीदिलीप जी ने इसे प्रतिबंधित और लेखक को दण्डित करने की असहमति दी तो गांधी जी ने लिखा था कि जब अदालत से न्याय नहीं मिलता तो मुस्लिमों को अपने अनुसार न्याय करने का अधिकार है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की प्रतिक्रिया स्वरूप इन्दिरा गाँधी जी की हत्या के पश्चात सिखों के विरुद्ध दंगे इन्दिरा गांधी के समर्थकों अर्थात कांग्रेसियों ने फैलाये किन्तु इसका परिणाम हिन्दुत्व के समर्थक अभी तक भुगत रहे हैं जबकि खालिस्तानियों से हांथ किसने मिला रखे हैं ये सभी जानते हैं ।
ये लोग सोशल मीडिया की पोस्ट को लेकर अकोला औरंगाबाद में हिन्दू समुदाय को निशाना बनाते हैं,आज प•बंगाल में परिस्थितियां कश्मीर से भी भयानक होती जा रही हैं,मुझे भलीभांति स्मरण है कि सन् १९९४ में दिलीप जी के आग्रह पर जब मैं सिल्चर आया था तो हाइलाकांदी की जनसभा को सम्बोधित कर लौटते समय मुझपर भी आक्रमण हुवा था।
और यह कटु सत्य है कि मेरा लेखन भी उनकी नजरों में-“कुफ्र” है,मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि रंगीला रसूल से लेकर सेटेनिक वर्सेस तक के साहित्य अक्षरशः इस्लाम में प्रसिद्ध आसमानी किताब से लिये गये हैं ! उन आयतों की पृष्ठ एवं शूरा संख्यां तक वहाँ बतायी गयी हैं, तो इनपर प्रतिबंध क्यूँ ? आजतक इस्लाम के किसी भी विद्वान ने ऐसा क्यूँ नहीं कहा कि उपरोक्त आयतें उनकी मजहबी किताब में नहीं हैं।और वे ऐसा भला कह भी कैसे सकते हैं।
ये दुर्भाग्य है उन लोगों का कि उनमें सच्चाई को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं है ! और समूचे विश्व को अपनी घिनौनी हरकतों से परेशान करते हैं,आप देखें प•बंगाल,कश्मीर,राजस्थान, पंजाब आदि लगभग ५०%भारत वर्ष में-“चादर और फाॅदर” की राष्ट्र और सनातन विरोधी गतिविधियों की जिसने भी निन्दा की उसपर,उसके घर पर और उसके मुहल्ले के साथ-साथ उसके नगर अथवा गाँव पर ये लोग हमला कर देते हैं,और वहाँ की सरकार और पुलिस पीडित पक्ष को ही अभियुक्त सिद्ध करती है।
अंततोगत्वा पीडित व्यक्ति थकाहारा अपने ही देश,गाँव,नगर और घर में भयभीत होकर स्वघोषित आजीवन कारावास की सजा भुगतने को श्रापित हो जाता है–“आनंद शास्त्री”