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“संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् …” — आनंद शास्त्री

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सम्माननीय मित्रों ! आज मुझे अत्यंत ही आंतरिक क्षोभ के साथ ये कहना पड रहा है कि-“मोदी(जी) हैं तो गारंटी है ! यह मोदी की गारंटी है ? आज समूची बराक उपत्यका स्तब्ध और स्तंभित है कि हम हिन्दी भाषी समुदाय के लोगों को कोरे और झूठे मनभावन मनगढ़ंत आश्वासनों के अतिरिक्त भारत गणराज्य की स्वतंत्रता के पश्चात भी ! स्वतंत्रता के 77 वर्ष पश्चात भी ! तथाकथित-“अमृतकाल” में भी ! हिन्दी-हिन्दू और हिन्दूस्थान के समर्थन का पाखंड करने वाली बीजेपी की सरकार होने के पश्चात भी केवल और केवल ठगा गया।
आज हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री जी ! हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ! बीजेपी के सभी केन्द्रीय और राजकीय मंत्री गण प्रातःकाल से सायंकाल तक ! सायं काल से प्रातःकाल तक देश और राज्य के कोने-कोने में घूम घूम कर नाना प्रकार की घोषणाएं कर रहे हैं किन्तु ये कडवी सच्चाई है कि महाराष्ट्र,असम,उडीसा,केरल, तमिलनाडु,पश्चिम बंगाल आदि सभी के सभी राज्यों में वहाँ के तथाकथित बहुसंख्यक समुदाय के हितों के नाम पर वहाँ के हिन्दी भाषी समुदाय की मात्र उपेक्षा ही नहीं अपितु उनका आर्थिक,मानसिक,शारीरिक  एवं सामाजिक शोषण भी कर रहे हैं ! यहाँ तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी हिन्दी भाषी समुदाय के हितों के नाम पर मनमोहनी चुप्पी धारण कर लेता है ! अर्थात ये सच्चाई है कि-“जहाँ बेदर्द हाकिम हो वहां फरियाद क्या करना ! किसे करना ?
मित्रों ! संघ की शाखाओं में मैंने भी एक प्रतिज्ञा की थी- “संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्” अर्थात ये प्रतिज्ञा करायी गयी थी कि-“हम सब एकसाथ चलें” और ऐसा ही हुवा भी ! किन्तु जीवन की इस यात्रा में जिन्होंने राजनीति सीखी ! जिन्होंने-“कौटिल्य नीति” पढी वो न जाने क्यूँ-“कुटिल” हो गये! आज मुझे अपने आदरणीय शिक्षा मंत्री जी से यह अपेक्षा नहीं थी ! उन्होंने सिल्चर से हम -“राजभाषा हिन्दी संयुक्त सुरक्षा समीति” के प्रतिनिधि मण्डल को स्वयं ही आमंत्रित किया था ! और हमें दिसपुर में अपने अधिकृत कार्यालय में बिठाकर स्पष्ट रूप से यह कहा था कि आदरणीय मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी द्वारा उनको अधिकृत किया गया है कि वो हमारी उचित मांगों को सुनें और स्वीकार करें ! किन्तु दुर्भाग्य से उनके बताये मार्ग पर चलकर जब पुनश्च हमारे प्रतिनिधि मण्डल के कुछ बच्चे उनके ही बुलाने पर दिनांक 21 फरवरी को गये तो उन्होंने मिलने से ही मना कर दिया ?
मित्रों ! यूसीसी की घोषणा करने में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
नाना सडक परियोजनाओं की घोषणा करने में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
राम मन्दिर हेतु अयोध्या भ्रमण के लिये लोगों को लेजाने  की योजना में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
नितीश कुमार के साथ गठबंधन की घोषणा करने में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
अरविंद केजरीवाल पर प्रहार करते चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
कांग्रेस,आप,तृमूकां,सपा,बीजद,शिवसेना को स्वार्थी तत्त्व  घोषित करने में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
तथाकथित किसानों के साथ बार बार चर्चा करने की घोषणा करने में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
हजारों हजार मन्दिर,रेल,विद्यालय,चिकित्सालय,एयरपोर्ट आदि हजारों हजार योजनाओं की घोषणा करने में चुनाव आचार संहिता आडे नहीं आ रही ?
किन्तु हिन्दी शिक्षकों की नियुक्ति हेतु हमारी मांग पर चुनाव आचार संहिता आडी तिरछी आकर खडी हो जाती है ?
मित्रों ! यह हमारे आदरणीय माननीय विधायक श्रीमान कौशिक राॅय और माननीय सांसद श्रीमान वीजय मालाकार जी का भी प्रकारान्तर से सार्वजनिक अपमान है ! यह समूचे हिन्दी भाषी समुदाय और हिन्दी भाषा का अपमान है ! मैं जब स्मरण करता हूँ कि-“देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानानाना उपासते” अर्थात हमारे मन एक हों ! प्राचीन काल में देवताओं का ऐसा ही आचरण रहा है ! आज मैं हम सभी के मार्गदर्शक उन शिक्षा मंत्री जी से सविनय पूछना चाहता हूँ कि आप -“शिक्षा मंत्री” हैं ! हम आपकी प्रजा हैं-“महाजनों गताः ते पन्थाः” आप हमें जिस मार्ग पर ले जाना चाहते हैं ! हम उसी मार्ग पर चलने को तत्पर हैं ! किन्तु आपकी कथनी और करनी में एकता होनी चाहिए ! माननीय मंत्री जी ! हमारी यह मांग नहीं थी कि आप हिन्दी भाषी व्यक्ति को ही शिक्षक नियुक्त करें ! हमने यह भी नहीं कहा था कि आप हिन्दी के नये विद्यालय स्थापित करें ! हमने केवल इतना ही कहा था कि आप असम राज्य में जिन हिन्दी माध्यम के विद्यालयों का अन्य भाषायी विद्यालय में ! हिन्दी शिक्षकों का अन्य भाषायी विद्यालयों में बलात्कार से परिवर्तन कर दिया गया ! आप उसे कृपया हिन्दी हेतु पुनश्च निर्धारित कर दें ! जब बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मन्दिर बन सकता है ! अर्थात हमलोग एक स्वर में कहते है कि-“आगे और लडाई है ! काशी मथुरा बाकी है !” ये किस मुँह से हम कहते हैं ? हिन्दी का अपमान क्या हिन्दुओं का अपमान नहीं है ? हिन्दी के साथ सौतेला व्यवहार क्या भविष्य के-“हिन्दुस्थान” के निर्माण हेतु मील का पत्थर बन सकता है ?
मित्रों ! ये हमारे धर्म,भाषा,शिक्षा और हमारे अस्तित्व का अपमान है ! आदरणीय मुख्यमंत्री जी ! हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया हमारी उचित मांगों को भाषा और चुनाव की बलिवेदी पर बलिदान न करें ! कृपया -“हलाल सर्टिफिकेट” देने वालों की कतार से हटकर हमारे साथ उचित न्याय करें ! क्रमशः ..आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″

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