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सांसद और मंत्री बनने का फ़ायदा ही क्या…. अपने मन से चपरासी नहीं रख सकते?

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 ज्यों-ज्यों लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं कांग्रेस-बीजेपी में बयानी जंग तेज होती जा रही है, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट किया…. सुना भाजपा के सांसदों ने कोई 9 पन्ने की चिट्ठी लिखी है राहुल जी को.

इन बेचारों की भी मजबूरी है, सारी सरकार और पार्टी तो डेढ़ लोग चला रहे हैं- इनका कोई रोल ही नहीं है. अब बेचारों के पास उपयोगिता दिखाने का एक ही मौक़ा बचा है – राहुल गांधी के खिलाफ़ मूर्खतापूर्ण बयान देना – तो वो कर रहे हैं – लगे रहो. शेर दहाड़ कर चला गया – और यह गीदड़ हुआँ हुआँ करने में लगे हैं.

मुद्दे की बात पर एक सवाल पूछ लो तो यह क्या इनके अध्यक्ष और ख़ुद प्रधानमंत्री भाग खड़े होते हैं. लेकिन…. अगर अकेले में भाजपाई मिल जायें- तो दिल का वो ग़ुबार निकलता है कि पूछिए मत. इनकी बातें सुनकर बड़ा तरस भी आता है. तानाशाही से यह भी परेशान हैं, स्वतंत्रता तो सबसे ज्यादा इनकी छीनी गई, सब के सब कहते हैं इनका फ़ोन टैप किया जाता है, कुछ तो कहते हैं….  सांसद और मंत्री बनने का फ़ायदा ही क्या- अपने मन से चपरासी नहीं रख सकते!

इन बेचारों को भी राजा के दरबार में एक मूक दरबारी बन कर रहना अच्छा नहीं लगता.इन सबको भी मोहब्बत की ज़रूरत हैं. इनका भी मन करता है कि इनके आका भी इनको सम्मान दें, प्यार से हंस कर इनका हाल पूछें, सिर्फ़ विदेश जाकर झप्पियाँ देने के बजाय इन लोगों से भी अपनत्व जतायें, पर…. गले लगाकर या सिर पर हाथ रख कर विश्वास तो सिर्फ़ और सिर्फ़ राहुल गांधी ही दिलाते हैं- आखिर मोहब्बत की दुकान खोलना सिर्फ़ उन्हीं के बस की बात है – और यह तो मोहब्बत के मोहताज वो चिट्ठी लिखने वाले भी जानते हैं?

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