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सीमा विवादः पिछले दो माह में हमने अपनी एक इंच भूमि नहीं छोड़ी-मुख्यमंत्री  -मिजोरम से 200 हेक्टेयर भूमि को खाली कराया

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मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को असम विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन अंतर राज्यीय सीमा विवाद के मुद्दे पर सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों से सदन को अवगत कराया।उल्लेखनीय है कि गत 26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा विवाद के चलते मिजोरम पुलिस के द्वारा की गई फायरिंग में असम के छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।मुख्यमंत्री ने कहा कि गत 26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा पर अवांछित घटना घटी थी। असम के साथ मिजोरम, मेघालय, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश समेत चार राज्य नए तरीके से सीमा के निर्धारण को लेकर अपनी आवाज उठा रहे हैं। जिसमें से दो राज्यों के साथ समझौता हो गया है। उन्होंने कहा कि इन चार राज्यों के साथ जो संवैधानिक सीमा निर्धारित की गई है इस पर इन राज्यों ने ऐतिहासिक सीमा (अंग्रेजों द्वारा) का हवाला दिया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमा निर्धारण का अधिकार भारत की संसद को है।
उन्होंने कहा कि नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा विवाद का मुद्दा कोर्ट में विचाराधीन है। मिजोरम-असम का सीमा विवाद उच्चतम न्यायालय में लंबित है। बावजूद मिजोरम इनर लाइन फॉरेस्ट के ऐतिहासिक आधार पर अपना दावा कर रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि मिजोरम के साथ यथा स्थिति बनाए रखने का समझौता पत्र तैयार था किंतु, मिजोरम उसमें रिजर्व फॉरेस्ट में झूम खेती की अनुमति को जोड़ने के लिए कह रहा था। हम उसके लिए तैयार नहीं थे। उसके बाद देखा गया कि मिजो लोग हमारे इलाके में झूम खेती और रास्ता बनाने का काम कर रहे थे। हमारी पुलिस ने उन्हें हटाना चाहा। इस पर मिजोरम पुलिस ने फायरिंग किया, जिसमें हमारे छह जवान मारे गए और काफी घायल भी हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इतना होने के बाद भी हमारे आईजी अनुराग अग्रवाल 42 जवानों के साथ वहां पर डटे हुए थे। उन्होंने मिजो लोगों को रास्ता बनाने नहीं दिया। पिछले दो महीने में हमने एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ी है। बल्कि, 200 हेक्टेयर जमीन को मिजोरम से मुक्त कराया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के निर्देश पर हमने अपना पोस्ट सीआरपीएफ के हवाले कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआरपीएफ (एक न्यूट्रल फोर्स) की भूमिका को हमने मान्यता दिया है। इस आधार पर हमने जॉइंट स्टेटमेंट भी जारी किया। असम-मिजोरम पुलिस में जो संघर्ष हुआ उसमें देखा गया कि पुलिस के साथ कुछ आम नागरिक भी शस्त्र लेकर दिखाई दिए हैं। इसके फोटो भी सामने आए हैं। इस पर दोनों राज्यों के डीजीपी स्तर की बैठक हुई। इस विषय को हाई कोर्ट में प्रेषित किया गया है। वहीं मुख्यमंत्री ने मेघालय द्वारा असम की सीमा पर ड्रोन से निगरानी किए जाने के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि मेघालय ने असम की अनुमति से ही सीमा पर ड्रोन उड़ाया था। जबकि, असम की ओर से पहले ही ड्रोन सर्वेक्षण किया जा चुका है।सीमा मुद्दे पर हुई चर्चा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी हिस्सा लेते हुए अपनी-अपनी बातों को रखा।

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