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सुप्रतिष्ठित शिक्षाविद, साहित्यकार अशोक वर्मा की धर्मपत्नी अन्नपूर्णा देवी वर्मा का स्वर्गवास

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विशेष प्रतिनिधि शिलचर 1 जून: आज का दिन शिलचर के साहित्य प्रेमियों के लिए दुखद रहा। सुप्रतिष्ठित शिक्षाविद, साहित्यकार अशोक वर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती अन्नपूर्णा देवी वर्मा ने अपने इटखोला, शिलचर निवास में आज सुबह 6.20 पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से ही बराक घाटी के साहित्य प्रेमियों, पारिवारिक शुभचिंतकों और आत्मीय जनों में शोक छा गया।

सुप्रतिष्ठित शिक्षाविद, साहित्यकार अशोक वर्मा की धर्मपत्नी अन्नपूर्णा देवी वर्मा का स्वर्गवास

69 वर्षीया अन्नपूर्णा वर्मा एक महीना पहले बेंगलूर स्थित अपने एकमात्र पुत्र त्रिवेणी पंकज वर्मा के निवास पर बाथरूम में गिर गई थी। तब से बीमार चल रही थी। उन्है उठने बैठने में तकलीफ थी, हाथ पैर में दर्द रहता था। दो हफ्ता पहले इसी अवस्था में शिलचर आई, चिकित्सा चल रही थी किंतु आज सुबह सदा के लिए सो गई। आज सुबह जब श्री अशोक वर्मा जी उन्हें चाय के लिए उठा रहे थे, वह उठी नहीं। हालांकि  रात को 9:00 बजे भोजन करके सोई थी। रात में दो तीन बार वर्मा जी के साथ बातचीत भी हुआ किंतु सुबह होते होते उनके प्राण पखेरू उड़ गए। उन्हें हॉस्पिटल ले जाने का भी अवसर नहीं मिला।

मोरान कॉलेज से स्नातक श्रीमती अन्नपूर्णा वर्मा का विवाह 1978 में काशीपुर चाय बागान निवासी शिक्षक साहित्यकार स्वर्गीय यमुना प्रसाद स्वर्णकार के छोटे भाई शिक्षक अशोक वर्मा के साथ हुआ। 1988- 89 में उन्होंने नेहरू हायर सेकेंडरी स्कूल पैलापुल में असमिया शिक्षिका के रूप में नियुक्ति पाई और इसी पद पर 2015 तक कार्य करने के बाद अवकाश ग्रहण किया। असमिया, हिंदी और बांग्ला तीनों भाषाओं में उन्होंने साहित्य सृजन किया। उन्होंने अपने शिक्षक और साहित्यकार पति का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। उन्होंने असमिया में अनियतकालीन पत्रिका साको का प्रकाशन भी किया। असमिया में उनकी दो पुस्तकें श्रीभू जननी कांदे और नीर्झरा प्रकाशित हुई। उन्होंने बराक के असमिया साहित्यकारों का एक संकलन धारा के नाम से प्रकाशित किया। बांग्ला और हिंदी में उनके अनेकों संकलन प्रकाशित हुए। विवाह के बाद शिलचर में किराए के घर में बहुत दिन रही फिर इटखोला में अपना घर बनाया। उल्लेखनीय है कि अन्नपूर्णा दीदी के अपार सहयोग के बल पर श्री अशोक वर्मा ने बालार्क प्रकाशन से हिंदी, बांग्ला, असमिया, मणिपुरी तथा दिमासा आदि विभिन्न भाषाओं में 100 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित की है। श्रीमती अन्नपूर्णा वर्मा हिंदीभाषी महिला मंच की संस्थापक उपाध्यक्षा रही, जागरण महिला समिति काछाड़ हाई स्कूल रोड सहित कई संगठनों से जुड़ी हुई थी। उन्हें प्रेरणा भारती हिंदी समाचार पत्र से विशेष लगाव था। प्रेरणा भारती के प्रकाशक दिलीप कुमार को छोटे भाई के समान स्नेह करती थी।

शिलचर में विभिन्न कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भूमिका रहती थी। उत्साहवर्धन करने वाली, कर्मठ और प्रेरणादायी व्यक्तित्व की अन्नपूर्णा दीदी के आकस्मिक निधन से अनेक लोगों को गहरा सदमा लगा है। वह पिछले चार-पांच वर्षों से बंगलौर में बेटे के साथ रह रही थी, बीच-बीच में आना-जाना करती थी।

आज सुबह उनके निवास पर जाकर प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शास्त्री, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रवि नुनिया, तापस भट्टाचार्य, प्रेरणा भारती के प्रकाशक और सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार, संपादक श्रीमती सीमा कुमार, स्थानीय समाजसेवी युगल किशोर त्रिपाठी, अशोक यादव, श्रीमती बिंदु सिंह, अजय यादव आदि ने शोक संवेदना प्रकट की।‌ इटखोला, शिलचर से उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास काशीपुर चाय बागान ले जाया गया, जहां कल सुबह उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

इनके काशीपुर निवास पर शोक संवेदना प्रकट करने वालों का तांता लगा रहा। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और समाजसेवी उदय शंकर गोस्वामी तथा अवधेश कुमार सिंह ने काशीपुर जाकर श्रीमती अन्नपूर्णा वर्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रीमती अन्नपूर्णा वर्मा के विद्यालय के सहकर्मी सितांशु ग्वाला सहित कई शिक्षकों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि प्रदान की। शिलचर के प्रतिष्ठित साहित्यकार करुणा भट्टाचार्य की बेटी सूजया भट्टाचार्य ने भी श्रद्धांजलि दी। श्रीमती अन्नपूर्णा वर्मा श्रद्धांजलि देने वालों का उनके निवास पर तांता लगा हुआ है।

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