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हो अखिल विश्व में उड़नपरी का भाग्योदय -डाक्टर श्रीधर द्विवेदी

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हो अखिल विश्व में उड़नपरी का भाग्योदय -डाक्टर श्रीधर द्विवेदी

नौगांव धान के खेतों से उतरी ,

कौन है यह स्वर्णमयी उड़नपरी ,

कहाँ की है यह धिंग एक्सप्रेस ,

किस किशोरी ने खोला मदिरा के खिलाफ मोर्चा ?

जन गण मन सुन ,

किसके नयनों से फूट पड़ी,

हर्षाश्रु स्वाति चातक कपोल ,

मोती समान वह जल धारा I

कितनी पुलकित है ब्रम्हपुत्र ,

कितनी प्रसन्न है भरत धरा ,

मत पूछो मन मयूर कितने ,

नाचें तव विजय कीर्ति सुनकर I

कितना प्रमुदित आसाम आज ,

है वेगमयी ये हेममयी,

किसकी प्रशस्त हो गई भुजा ,

किसका आनंदित हुआ हृदय I

धाविका प्रखर कहती है नवल किशोरी से ,

मत हो न उदास हताश कभी ,

सखि रहो सदा उल्लासमयी,

आह्लादमयी संघर्षपूर्ण हो स्वेदमयी I

हे हिमा पुत्रि न्योछावर तुम पर कोटि नेत्र औ कोटि ह्रदय ,

कामाक्षि कच्छ हिम मीनाक्षी सब साक्षी हैं शुभ सूर्योदय ,

क्रीड़ांगन में हो गया आज रेणुका शक्ति का पुनः उदय ,

वर दे प्रभुवर हो अखिल विश्व में उड़नपरी का भाग्योदय I

टिप्पणी- 1 ‘ हर्षाश्रु स्वाति चातक कपोल ’ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद हिमा जब विजय मंच पर चढ़ी और तिरंगा

फहराया गया तथा जन मन गण होने लगा तब वह भावाभिभूति हो उठी और उसके दोनों नेत्रों से अश्रु धारा बहने लगी I ये

अश्रु मानों स्वाती नक्षत्र ( विजय का

Professor (Dr.) Shridhar Dwivedi
MBBS, MD, PhD, FAMS, FRCP (U.K.), FIACS (Canada), Senior Consultant Cardiologist, National Heart Institute, Professor of Eminence, D.P.S.R. University

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