
11/9/2001 को न्यूयॉर्क पे आतंकी हमला आज तक के मानव इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा हमला है जिसने हमारी खूबसूरत दुनिया को हमेशा के लिए बदल के रख दिया। फोटो जर्नलिस्ट कमल शर्मा 6 देशों का क्रिकेट टूर्नामेंट और US OPEN TENNIS कवर करने अमेरिका गए थे। 9 सितंबर को टेनिस के समापन के बाद 10 सितंबर को पूरा दिन न्यूयॉर्क खासतौर पर मेनहट्टन कि फोटोज अपने कैमरा में कैद करते रहे। ट्विन टावर्स खास आकर्षण का केंद्र रहा उसे केंद्र मे रख फोटोग्राफी की। विश्व प्रसिद्ध न्यूयॉर्क स्काईलाइन रात को हडसन के दूसरी तरफ ब्रुकलिन के इलाके से सबसे ज्यादा खूबसूरत दिखती थी क्योंकि स्काईलाइन के साथ ब्रुकलिन ब्रिज फोटो की खूबसूरती बढ़ा देगा इसलिए रात 11-12 बजे तक फोटोग्राफी की। उस वक्त कैमरा भी साधारण था और डिजिटल नहीं बल्कि फिल्म रोल का इस्तेमाल होता था। कैमरा स्टैंड भी नहीं था इसलिए रात की फोटो बहुत बड़ा चैलेंज था।
नहीं जानता था कि दुनिया में जिस ट्विन टावर्स की अरबों फोटो लोगों ने खींची उसकी आखिरी फोटो मेरे कैमरा से क्लिक होगी।
क्वींस अपनी बहन के घर रात को 2 बजे पहुंचे और सुबह जीजा जी ने उठा कर बताया कि रात को जिस ट्विन टावर्स की फोटोज आपने क्लिक की उसके एक टॉवर से प्लेन टकरा गया। ऐक्सिडेंट समझ कर हम कार से फोटोज लेने के लिए निकाल पड़े लेकिन कार के रेडियो पे ये सुन कर की दूसरे टॉवर मे भी प्लेन टकराया है और ये दुर्घटना नहीं आतंकी हमला है। जीजा जी ने कहा हमे वापस घर चलना चाहिए ये बहुत खतरे की स्तिथि है। फोटो जर्नलिस्ट के तौर पे मुझे लगा कि मुझे इस आतंकी हमले को कवर जरूर करना चाहिए क्योंकि हम घटना स्थल के बिल्कुल नजदीक थे और मेरे पास बड़ा टेलिलेंस भी था।
मनहट्टन जाने के लिए ब्रिज से हो कर जाना पड़ता है। उस ब्रिज से लाखों लोग निकल रहे थे बाहर लेकिन मनहत्तन जाने वाली रोड पे एक भी इन्सान नहीं था सिर्फ 2 पुलिस के लोग थे। मंजर बहुत डरावना था। हर इंसान बेबस दिख रहा था। लेकिन ये देख के मुझे हैरानी भी हुई थी कि लोग भगदड़ नहीं बल्कि अनुशासन से निकाल रहे थे। मुझे भी एक बार डर लगा लेकिन हिम्मत कर हम घटना स्थल की तरफ बढ़ते गए। मेनहट्टन जहां हमेशा भीड़ रहती थी बिल्कुल खाली था। गाडियां जहां रेंगती थी वहां दूर तक एक भी गाड़ी नहीं दिखाई दे रही थी।
घटना स्थल के पास फायर डिपार्टमेंट, पुलिस, मीडिया या एम्बुलेंस के सायरन। स्तिथि बहुत ही भयानक थी। सच बताऊं उस वक्त वहां लोग बोल रहे थे कि 5000 लोग की मौत हो गई। सुन कर मन विचलित और दिमाग सुन्न हो गया था सिर्फ उंगली कैमरा का बटन दबा कर फोटो खींच रही थी। दिल मानवता के इतने बड़े कभी ना भरने वाले नुकसान की कल्पना से रो रहा था । बिल्डिंग गिरने से निकलता धूल और धुएं का गुब्बार जान बचा कर भागते लोग। अपनो को खोजते लोग ये सब कभी नहीं कल्पना की थी कि इस तरह के फोटो क्लिक होंगे मेरे हाथो से।
मेरे जीवन की सबसे दुर्भाग्यशाली घटा थी लेकिन इतिहास को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोना हमारा परम कर्तव्य है। अमेरिकन पुलिस, फायर फाइटर, डॉक्टर्स, पब्लिक मीडिया के लोगों का व्यवहार इतने मुश्किल समय में भी काबिले तारीफ था। मुझे किसी ने रोक टोक नहीं की। सभी अमेरिकन्स अपने देश के लिए एकजुट दिखे।
12 को मेरा जन्म दिन था लेकिन दिल इतना दुखी था। केक काटना तो दूर देखने का दिल भी नहीं हुआ। 14 सितंबर को हमारी वापसी के टिकट था लेकिन फ्लाइट्स बंद हो गई इसलिए कुछ दिन के बाद लौटे। फिरोजशाह कोटला में टेस्ट मैच था। 9/11 के कुछ प्रिंट मैं अपने कैमरा बैग में रखता था मित्रों को दिखाने के लिए।
किसी तरह ये बात सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले को पता लगी तो मुझे बुलाया गया फोटोज देखने के लिए, पूरी टीम ने बहुत तारीफ की मेरी फोटोग्राफी और हिम्मत के लिए। सचिन और कुंबले ने कहा ये 2 फोटो हमे बड़े करवा के दो। अगले दिन जब बड़े पोस्टर दिए तो सचिन ने कहा इसपर आप सिग्नेचर कर दो, मुझे लगा शायद मुझ से मजाक कर रहे हैं। लेकिन कुंबले और सचिन ने मुझे बोला कमल आपको इन दुर्लभ फोटोज की एग्जिबिशन करनी चाहिए और बुक भी निकालनी चाहिए। उस दिन मुझे एहसास हुआ और मेरे भाई जैसे मित्र सुनील शर्मा जी के सहयोग से भारत की सबसे प्रेस्टिजियस इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स मे पहली फोटो एग्जिबिशन लगी जिसे देश के प्रमुख न्यूजपेपर्स और टीवी चैनल्स ने कवर किया। 500 वन डे, टेस्ट मैच और रणजी ट्रॉफी मैच कवर करने के अलावा यूरोपियन टूर गोल्फ इं दुबई के साथ ऑफिशियल फोटोग्राफर होना और टाइगर वुड्स और सभी टॉप गोल्फर्स को कवर करना गौरव की बात है।