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अढ़ाई पत्ता तोड़ने की नीति से चाय श्रमिकों की स्थिति चिंताजनक 

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शिलचर: बराक घाटी के कई चाय बागानों में अढ़ाई पत्ता तोड़ने की नीति से श्रमिकों की स्थिति चिंताजनक हो गई है । परिवार चलाना मुश्किल हो गया है । भारतीय चाय मजदूर संघ के महासचिव कंचन सिंह ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया । उन्होंने कहा चाय श्रमिकों के हित से जुड़े इस ज्वलंत मुद्दे को सरकार के सामने ले जाएंगे । मालूम हो कि असम सरकार ने गत वर्ष फरवरी महीने चाय बागानों में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के फैसले लेकर श्रमिकों को बड़ी राहत दी थी । न्यूनतम दैनिक मजदूरी 183 रुपए किए। परन्तु आज भी बहुत सारा बगान में यह मजदूरी लागू नही हुवा है । किंतु अढ़ाई पत्ता तोड़ने की नीति से बागान श्रमिकों के पसीने छूट रहे । अथक परिश्रम के बावजूद पूरा हाजिरा नहीं हो पा रहा। पेट नही भर रहा हैं। विदित हो कि इसके पूर्व चार पत्ता तोड़ कर 23 किलो बनना  होता था ।  लेकिन अब अढ़ाई पत्ता तोड़ने के साथ  23 किलो वजन कर दिया गया है । 23 किलो वजन होने से पूरा हाजिरा मिलता है । अढ़ाई पत्ता तोड़ने में सबसे बड़ी समस्या यह है कि चुन चुनकर तोड़ना होता है । इसमें समय लगता है । दिनभर परिश्रम करने के बावजूद वजन 23 किलो नही हो पाता । नतीजतन उनके न्यूतम मजदूरी में कटौती हो जाती है । रविवार को भारतीय चाय मजदूर संघ (बीएमएस द्वारा एफिलेटेड) की पांच सदस्यीय टीम ने काछार जिले के कलाइन क्षेत्र में स्थित क्रेगपार्क चाय बागान का दौरा किया । मजदूर संघ ने यहां बागान के श्रमिकों के साथ बैठक की । बैठक के दौरान उक्त मुद्दा निकलकर सामने आया । मुख्य बागान के अलावा उसके चार अन्य फाड़ी ( शाखाएं ) बागानों के पंचायत अध्यक्ष इस बैठक में हिस्सा लिए । श्रमिकों की समस्याओं को साझा किया गया । बागान में अढ़ाई पत्ता नीति, पीएफ और अस्थाई श्रमिकों को स्थाई करने के मुद्दा उठा । भारतीय चाय मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष हरि नारायण वर्मा, महामंत्री कंचन सिंह, संयोजक रतन सिंह,  सह सचिव रंजीत साहू, संगठनिक सचिव मनोज कुमार साह और कोषाध्यक्ष राजीव कुमार राय की मौजूदगी में बागान पंचायत सचिव अविनाश तंतुबाई ने श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं को उठाया । इसके अलावा अन्य फाड़ी बागानों के श्रमिक सदस्यों के साथ पंचायत प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे । बताया गया मूलभूत चीजे  नही दी जा रही । चप्पल, छतरी, मसहरी तक मुहैया नहीं । उनके घर जर्जर है । बागान में स्वास्थ्य सेवा भी ठीक नहीं है। दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हैं। वर्मा ने कहा कि श्रमिकों की आवाज को सरकार तक पहुंचाएंगे , चाय बागान प्रबंधन को श्रमिकों की मांगो पर गौर करने होंगे । अढ़ाई पत्ता नीति की कड़ी निंदा की ।  महासचिव कंचन सिंह ने कहा कि सरकार श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी बढ़ा रही । जबकि बागान प्रबंधन गुणवत्ता का बहाना बताकर इस तरह की शर्ते रख श्रमिकों पर अन्याय कर रही । दमनकारी नीति बताया । कंचन सिंह, रंजीत साहू , रतन सिंह और मनोज कुमार साह ने भी वक्तव्य रखा । श्रमिकों के छात्रों के उत्थान के लिए भी चर्चा हुई । एससी/ एसटी प्रमाण पत्र बनाने के लिए जागरूक किया गया। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रमिक सदस्यों के साथ बागान पंचायत प्रतिनिधि भारतीय चाय मजदूर संघ में शामिल हो गए । उनका कहना था कि इसके पूर्व जिस यूनियन के बैनर तले थे वे उनकी मांगों को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई । लिहाजा अब वे श्रमिकों भाइयों की सहमति से मजदूर संघ में शामिल होने का फैसला करते हैं। उन्हें पूर्ण आशा है कि मजदूर संघ उनके पक्ष में खड़ा रहेगा।  बाद में भारतीय चाय मजदूर संघ क्रेगपार्क बागान के प्रबंधक विजय मिश्र से भी मुलाकात की । मुलाकात के दौरान श्रमिकों की मांगो को रखा गया । मिश्रा ने   गुणवत्ता का बहाना बताया ।

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