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असम प्रदेश में भारतीय समाज विरोधी राष्ट्रविरोधी शक्तियों के द्वारा हिन्दी भाषा के विरुद्ध षड़यंत्र।

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हमारी मातृभूमि भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी असम विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए दक्षिण असम के अंतराष्ट्रीय सीमांत जनपद करिमगंज आएँ थे १८ मार्च को। इसके लिए हम सभी बराकघाटी के निवासी आनंदित हुए किंतु पीड़ा हुई यह जानने के पश्चात कि दक्षिण असम के एकमात्र दैनिक हिंदी समाचार पत्रिका प्रेरणा भारती को आमंत्रित नहीं किया गया इस महत्वपूर्ण चुनावी जनसभा में स्थानीय भाजपा नेताओं या इस जनसभा से संबंधित व्यक्तिओ के द्वारा जिनका दायित्व था प्रचार माध्यमों को आमंत्रित करें। असम में हिन्दी भाषा, हिन्दीभाषियों तथा चाय जनजातियों के संग यह प्रथमबार भेदभाव की घटना नही हैं। जब से भाजपा गठबंधन की सरकार असम में सत्तासीन हुई हैं प्रदेश के दूसरी सबसे बड़ी जनसमुदाय हिन्दीभाषी तथा चाय जनजाति लोगों के संग अन्याय हो रहा है। जैसे २०१६ ई. में भाजपा गठबंधन की असम सरकार की मंत्रीमंडल में कोई भी हिंदीभाषी मंत्री नहीं होना। प्रायः तीन वर्ष के पश्चात एकजन चाय जनजाति समुदाय के विधायक को मंत्री बनाया गया।

विगत वर्ष उच्च प्राथमिक विद्यालयों के हजारों हिन्दी शिक्षक पदों में विज्ञापन देकर भी नियुक्ति बंद रख दिया गया पुनः निरीक्षण के नाम पर। यद्यपि एकसंग विज्ञापन दिया गया दूसरे विषयों के शिक्षक पदों में नियुक्ति दिया गया। जब कुछ विरोध हुआ तो नाम मात्र के कुछ हिन्दी शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिया गया अधिकतर पद रिक्त रख दिया गया। क्या असम सरकार द्वारा निम्न प्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी शिक्षा प्रतिबंधित हैं? क्या प्रादेशिकृत उच्च विद्यालय , उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सभी हिंदी शिक्षक पदों पर शिक्षक हैं? क्यों इन हिन्दी शिक्षक पदों पर नियुक्ति नहीं दी गई इन पांच वर्षों के शासनकाल में? हजारों युवा-युवती हिन्दी भाषा में स्नातक एवं स्नातकोत्तर करके बेकार हैं।

हिंदी समाचार पत्रिका प्रेरणा भारती के संग पूर्व में भी इस प्रकार बहुत बार भेदभाव किया जा चुका है असम सरकार एवं भारत सरकार की प्रतिष्ठानों के द्वारा। २००५ ई. से जब से इसको पंजीयन के लिए प्रयास किया जा रहा है तब से प्रेरणा भारती समाचार पत्रिका को बंद करने के लिए हर संभव षड़यंत्र किया जा रहा है। प्रायः दो वर्षों से सार्वजनिक बैंक से ऋण प्राप्ति के लिए बहुत बार प्रयास किया गया किंतु बार-बार निराश किया गया प्रेरणा भारती को। यहां दक्षिण असम के कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार प्रसार हो असम प्रदेश में विशेषकर मुसलमान राष्ट्र बंग्लादेश के समीप इन जिलाओं में। हमें संगठित होकर इन हिन्दी भाषा विरोधी, हिन्दीभाषी तथा चाय जनजाति विरोधी लोगों के विरुद्ध आवाज उठानी हैं। यहां बराकघाटी में हम भरतवंशी हिन्दीभाषी तथा चाय जनजाति लोगों के अस्तित्व एवं अस्मिता से जुड़ा हुआ हैं यह एकमात्र दैनिक हिंदी समाचार पत्रिका प्रेरणा भारती। इसके विरुद्ध सभी राष्ट्रविरोधी, भारतीय समाज विरोधियों के षड़यंत्र को हमें असफल करना हैं। हर समय हमें प्रेरणा भारती हिन्दी समाचार पत्रिका को अपना यथासंभव सहयोग प्रदान करना हैं। जय हिंदी, जय संस्कृत, जय भारत।
#राजन कुंवर, बिहारा, काछार जनपद, असम

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