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असम विश्वविद्यालय का 19 वां समावर्तन अनुष्ठान संपन्न

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विशेष प्रतिनिधि शिलचर, 7 मई: आज असम विश्वविद्यालय का तीन दिवसीय 19वां समावर्तन अनुष्ठान संपन्न हुआ। 5 मई से प्रारंभ समावर्तन के अंतिम दिन आज 11.55 पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजीव मोहन पंत की अनुमति से कुलसचिव प्रदोष किरण नाथ ने तीसरे दिन के समारोह शुभारंभ की औपचारिक घोषणा की। समारोह के प्रारंभ में राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाया गया। आज महाविद्यालय के स्नातक छात्रों को उपाधियां प्रदान की गई। पहले पुरस्कार तथा गोल्ड मेडल पाने वाले को मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉक्टर रवि कन्नान और कुलपति के हाथों पदक और उपाधि प्रदान की गई।
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ दास गुप्ता तथा मुख्य अतिथि डॉ रवि कन्नान को स्मृति चिन्ह देकर कुलपति ने सम्मानित किया।

16 हजार विद्यार्थियों को प्रदान की गई विभिन्न उपाधियां

मुख्य अतिथि रवि कन्नान ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक उपाधि जीवन में दूसरा मील का पत्थर है। भगवान ने हमें बहुत कुछ दिया है फिर भी जीवन में और भी कुछ करने का, पाने का हम प्रयास करते हैं। लेकिन जीवन में पूर्णता तब होती है जब हम अपना जीवन सेवा में लगाते हैं। उन्होंने बांग्ला के प्रसिद्ध गीत “यदि तोर डाक शुने केउ ना आसे, तबे एकला चलो रे” गाते हुए कहा कि मैं आशा करता हूं कि आप सभी की सोच ऊर्जा से परिपूर्ण रहेगी।

16 हजार विद्यार्थियों को प्रदान की गई विभिन्न उपाधियां

मंचासीन अतिथियों में प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर शिवाशीष विश्वास, परीक्षा नियंत्रक सुप्रवीर दत्त राय, महिला महाविद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कुमार दास, प्रोफेशन नागेन्द्र पांडेय, डॉ मनोज कुमार सिन्हा सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य आदि शामिल थे। राष्ट्रगान के पश्चात समावर्तन अनुष्ठान समाप्त हुआ।

विश्वविद्यालय ने 330 पीएचडी, 89 एम फिल, 26 एम एड, स्नातकोत्तर उपाधि 2108 तथा 13447 स्नातक उपाधियां प्रदान की। 2020 और 21 में जिन लोगों का पाठ्यक्रम पूर्ण हुआ है, उन्हीं को उपाधियां प्रदान की गई। कोरोना वायरस के चलते पिछले 2 बरस समावर्तन अनुष्ठान आयोजित नहीं हो सका। ‌‌

समावर्तन के पहले दिन 5 मई को मुख्य अतिथि के रूप में वाटर मैन के रूप में प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह उपस्थित थे। सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ कुमार कांति दास जिन्हें लखनदा के नाम से जाना जाता है। गरीबों के लिए एक मसीहा के रूप में प्रसिद्ध हैं, ने विश्वविद्यालय ने डीएससी की मानद उपाधि प्रदान की। स्वामी आत्मप्रियानंद को डी लिट उपाधि दी गई। कुलपति प्रोफेसर राजीव मोहन पंत ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्वविद्यालय की क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग करने से यह विश्वविद्यालय पूर्वोत्तर के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में एक हो सकता है। उन्होंने बताया कि कुलपति का दायित्व ग्रहण करने के पश्चात 15 महाविद्यालयों का भ्रमण कर चुके हैं और सभी महाविद्यालयों में जाएंगे। शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद, गीत संगीत सभी प्रकार की उन्नति के लिए पूर्ण प्रयास करेंगे। समारोह के द्वितीय दिन पद्मश्री पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री कविंद्र पुरकायस्थ, पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुभाष शाहा, प्रोफेसर दिलीप चंद नाथ आदि उपस्थित थे। तीन दिवसीय समावर्तन अनुष्ठान का आयोजन विश्वविद्यालय की नेताजी मुक्त मंच पर किया गया था।

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