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असम विश्वविद्यालय के नॉन-टीचिंग संस्था ने काजी नजरूल की 124वीं जयंती मनाई

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प्रे सं.शिलकुड़ी 26 मई। असम विश्वविद्यालय में नॉन-टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन ने विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम की 124वीं जयंती मनाई। सर्व प्रथम असम विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को कवि काजी नजरूल इस्लाम के चित्र पर पुष्पार्घ दिया। इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजीव महान पंत ने अपने संबोधन में कहा कि काजी नजरुल इस्लाम की कविताएं और गीत ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ में था।

कॉलेज विकास परिषद के निदेशक जयंत भट्टाचार्य ने कहा कि कवि काजी नजरूल की कविताएं और गीत साम्यवाद के बारे में हैं। अनटिया के अध्यक्ष साग्निक चौधुरी ने कहा, नजरुल की कविता और गाने समाज में वर्ग विभाजन के खिलाफ में था। नजरूल के गीत अनटिया के महासचिव डॉ पिनाक कांति रॉय ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार डॉ पुलक धर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में अनटिया उपाध्यक्ष पृथ्वीराज ग्वाला , सहायक महासचिव किशोर कांति पाल,

रंजीत दास, मिताली चक्रवर्ती, रोंटू मालाकार, सुब्रत सिन्हा, कनु धर, सुप्रतिम चौधरी और अन्य उपस्थित थे।

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