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असम सरकार को न्यूनतम 25% स्थानीय उत्पाद खरीदना चाहिए- स्वदेशी जागरण मंच

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असम सरकार को सरकारी टेंडर में कम से कम 25% सामान स्थानीय लघु उद्योगों से खरीदना चाहिए। यह कहना है स्वदेशी जागरण मंच के पूर्व भारत के संगठक तथा संघर्ष वाहिनी के राष्ट्रीय प्रमुख अन्नदा शंकर पाणीग्रही का।‌ आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत केंद्र केशव निकेतन में शिलचर प्रवास पर आए पाणीग्रहीजी ने हमारे विशेष प्रतिनिधि दिलीप कुमार जी से एकांत साक्षात्कार के दौरान उपरोक्त बात कही। प्रस्तुत उनसे बात-चीत के प्रमुख अंश:

देशहित के विषयों पर स्वदेशी जागरण मंच सदैव सक्रिय हैं। 2014 में इसी सरकार ने लैंड बिल लाया था, जिसका मंच ने जंतर मंतर पर धरना देकर विरोध किया था। जिसके चलते सरकार को लैंड बिल वापस लेना पड़ा। कृषि बिल पर भी स्वदेशी जागरण मंच ने प्रस्ताव लेकर सरकार से तीन संशोधन की मांग रखी हैं। पहला न्यूनतम समर्थन मुल्य की गारंटी, दुसरि किसानों के लिए अलग से उपभोक्ता न्यायालय एवं तीसरा बिल में जो कारपोरेट को भी किसानों का दर्जा दिया गया है, उसे बाहर किया जाय।

सरकार एक पोर्टल बनाएं, जिस पर खरीद के बारे में डिटेल विवरण दिया जाय, सभी खरीद को पंजीकृत किया जाए। उन्होंने कहा कि बिल में प्रावधान है कि 72 घंटे में भुगतान हो जाना चाहिए किंतु नहीं होने पर किसान को डीसी और एडीसी के यहां दौड़ लगानी पड़ेगी। किसान अपना समान बेच कर कहां-२ दौड़ता फिरेगा, भुगतान की गारंटी मिलनी चाहिए। सरकार को ई कामर्स में अमेजन और flipkart जैसे कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए ताकि खुदरा बिक्री बंद न हो जाए।
उन्होंने बताया कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ स्वदेशी जागरण मंच का अभियान निरंतर जारी है। प्रतिवर्ष 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर तथा 2 अक्टूबर को गांधी जी एवं शास्त्री जी की जयंती पर और 12 दिसंबर को बाबु गेणु बलिदान दिवस पर स्वदेशी दिवस मनाया जाता है। 2012 से एंटी चाइना गुड्स मुवमेंट्स शुरू किया गया। 2016 नवंबर में दिल्ली में विशाल कार्यक्रम किया गया, जिसमें 200000 से ज्यादा लोग आए। इस वर्ष स्वदेशी जागरण मंच चाइना मुक्त भारत का अभियान चलाएगा। स्वदेशी जागरण मंच के निरंतर प्रयास के चलते भारत सरकार ने चाइना के बहुत सारे टेण्डर रद्द कर दिया। स्वदेशी की परिभाषा है कि भाषा, वेशभूषा, भोजन, भवन और भेषज पांचों में व्यक्ति को स्वदेशी का पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बहुभाषी होने के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनेकों प्रकार की समस्या है, इनके समाधान के लिए अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी या संस्कृत का प्रयोग किया जाए तो समस्या हल हो सकती हैं। अन्नदा शंकर ने कहा कि देश में जानबूझकर हिंदी विरोध की साज़िश रची गई। इसके चलते अनेक स्थानों पर लोगों ने मातृभाषा छोड़कर अंग्रेजी को अपना लिया है। इसके लिए समाज को आगे आना चाहिए और इसमें परिवर्तन लाना चाहिए।

श्री पाणीग्रहीजी ने कहा कि शिलचर में उनका पहला प्रवास है, उनका उद्देश्य है, इस क्षेत्र में स्वदेशी भाव को बढ़ावा देना। इस एरिया में म्यानमार और चाइना के सामग्री की भरमार है, उस पर रोक लगनी चाहिए। आत्मनिर्भर या स्वावलंबी भारत तब बनेगा, जब देश का हर जिला स्वावलंबी बने। इसके लिए स्वावलंबी जिला अभियान शुरू किया गया है, जिसमें अपने ही जिले के उत्पाद को वरीयता देना। स्वदेशी जागरण मंच इसके लिए काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि कोरोना कालखंड में हमने देखा है कि जब से लोगों में चाइना के बहिष्कार का भाव जगा है, लोग उसके सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भाव जागरण जरूरी है, इसमें समय लगेगा लेकिन होगा। उन्होंने कहा कि जब सरकार स्थानीय उत्पाद खरीदना शुरू करेगी तब लघु उद्योगों में उत्साह बढ़ेगा, रोजगार का सृजन होगा इसलिए सरकार को कम से कम 25% सामान स्थानीय लघु उद्योगों से खरीदना चाहिए। स्वदेशी जागरण मंच इसके लिए काम करेंगा।

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