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उठो चिरैया!!!खुले आकाश — डोली शाह

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 यशु एयर चीफ मार्शल वी .पी .सिंह की बेटी थी। पिता की सेवा  भावना देख उसे भी देश के लिए कुछ अलग करने की चाह शुरू से ही थी, परंतु मां को शुरू से ही  देश सेवा में कोई दिलचस्पी  नहीं थी, लेकिन पिता की इच्छा और यशु की आकांक्षाओं के बल पर बहुत ही कम उम्र में वह  एयरक्राफ्ट की ट्रेनिंग  इत्यादि कर वह एक पायलट बन गयी।
             निरंतर प्रयासों से वह एक सफल पायलट हो गयी। अब उसे घर आने- जाने का भी कोई निश्चित समय नहीं होता , कभी  मध्य रात्रि  तो कभी प्रातः काल ही वह अपनी सेवा के लिए निकल जाती। यह सब देख एक मां को लाजमी था– अच्छा ना लगता ।
               अब माता-पिता उसके घर बसाने को सोचने लगे। कई सारे रिश्ते भी आए लेकिन किसी से बात न बनी।
 यह देख एक दिन मां (  मंजू )  अपने पति से कहने लगी-_ “ऐसी नौकरी का क्या जिसमें रहने पर लोग विवाह तक करने को तैयार नहीं ।’ पिता सुनते रहे इतने में यशु आ पहुंची।
……… इतने जल्दी आज !
…जी पापा
…….रात्रि 1:00 बजे जाना था इसीलिए सोची जल्दी आ जाऊ।
……. अच्छा किया बेटा, थोड़ा आराम कर लो
………जी पापा
             इतने में मां कहने लगी– रुको एक मिनट!
………. बोलो मां
……… मैं तुम्हारी भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हूं ,
……..(.मुस्कुरा कर ) क्यों,क्या हो गया?  अच्छी खासी तो है आपकी बेटी!
……… बेटा तुम तो देख ही रही हो। पिछले छः महीने में न जाने  कितने ही रिश्ते तुम्हारे लिए आए, लेकिन सबका यही कहना है कि उसका जीवन सुरक्षित ही नहीं ,कब, कहां ,क्या हो जाए और वक्त- बे -वक्त घर आना -जाना ,कोई समय की पाबंदी नहीं, तो ऐसी बहू को घर लाकर ही  क्या करेंगे जो हमारे परिवार की देखभाल ही ना कर पाए।  पैसे तो हम भी कमा लेंगे, हमें तो परिवार की देखभाल करने वाले, सुख-दुख बांटने वाली बहू चाहिए।
  ……..मां, आपकी बात पूरी हो गई तो मैं कुछ कहूं  ?
……… बेटा, मजाक मत करो
……..मां, एक मिनट , क्या एक लड़की के लिए ब्याह करना ही जरूरी है? क्या उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं ?
……… बेटा , मैं तुम्हें क्या समझाऊं?
 हम जिस समाज में रहते हैं , वहां लड़कियों के लिए विवाह को बहुत अहमियत  होता है ।
……….मां यह समाज भी तो हम जैसे लोगों से ही बना है,यहां के सारे नियम तो हम में से ही  किसी ने बनाया है। यह भी तो सोचो कि आपकी बेटी रोज हजारों लोगों की सेवा कर रही है। एक व्यक्ति यदि घर से यात्रा के लिए कहीं निकलता है ,तो उसके जीवन की सारी जिम्मेदारी वह  ड्राइवर या पायलट को सौंप देता है , उसे गंतवय स्थान  पर  पहुंचा  कर न जाने कितनों की हर रोज मै सेवा  कर रही हूं। एक परिवार की सेवा न भी कर पाई तो क्या ?
       और आपको तो यह फक्र होना चाहिए कि आपकी बेटी पायलट है जो आज पूरे विश्व  में कुछ गिनी -चुनी महिलाएं ही बन पाई है। मां, क्या मेरी जगह मेरा भाई इस स्थान पर होता तो क्या आप इतना कुछ उसे कह पाती।
        यशु के द्वारा यह सुन पिता का सीना चौड़ा हो रहा था और तो मां मौन  हो गई। इतने में पिता बोल पड़े ।
…….यशु की मां… जाने भी दो उसे…
 वह आराम करने के लिए आई थी तुमने तो…..
      इतना सुन वह  वहां से चली गई। सब आपके कारण ही….
…… एक पायलट की मां  भी  तो मेरे कारण ही… इतने में व्यंग की हंसी दोनों के चेहरे पर आ गई ।……
    डोली शाह
 हैलाकंदी ,असम
मोबाइल -9395726158

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