फॉलो करें

धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परिखिअहि चारी — मदन सुमित्रा सिंघल

38 Views
जब राम लक्ष्मण सीता चोदह साल के बनवास में भ्रमण कर रहे थे तो अत्रि मुनि के आश्रम में पहुंचे तो अनुसुइया के सीता ने पांव छुकर प्रणाम किया। अनुसुइया ने खुश होकर सीता को ऐसे गहने भेंट में दिए कि जो कभी भी खराब ना हो। यह प्रसंग रामचरितमानस के अरण्य कांड में मिलेगा।
   अनुसुइया ने सीता को स्त्री धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि भले ही मां बाप सास ससुर एवं अन्य अपने कितने ही प्रिय हो लेकिन पत्नी को पति का साथ हर पल एवं हर परस्थितियों में देना चाहिए भले वो बिमार लाचार मुर्ख अनपढ़ क्यों ना हो।
   ओर कहा कि
धीरज धर्म मित्र अरु नारी
आपद काल परिखिअहि चारी
यानि विपदा के समय मनुष्य का धैर्य धर्म मित्र एवं नारी यह चारों लगभग साथ रहे तो शायद ही कोई संकट हो जो ना टले। इसलिए इन पर विश्वास किया जा सकता है।
   आज के युग में ना तो मनुष्य में इतनी धीरज रही है कि वो इंतजार करता रहे। धर्म पर ओर नारी यानि पति पत्नी पर अटूट विश्वास हो तो निश्चित रूप से अग्निपरीक्षा में खरे उतर सकते हैं लेकिन मित्र शब्द तो शायद पुस्तकों में ही अच्छा लगता है कहाँ है ऐसे मित्र जो विपदा में काम आ जाए
   डुबते जहाज पर कोई भी व्यक्ति हमदर्द नहीं बनना चाहता। आज नफे नुक्सान का आकलन करने के कारण कोई विरला ही दोस्ती के लायक मिलता है वरना……
   फिर भी मनुष्य का धैर्य एवं धर्म दोनों साथ अवश्य दे सकते हैं यदि उस पर अडिग रहे।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल