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पकड़ी गई लड़कियों के बारे में मीडिया से सूचना छुपा रहा लखीपुर का वन विभाग

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प्रे.सं.लखीपुर, ३ अक्टूबर: एक ओर जहां राज्य सरकार का वृक्षारोपण कार्यक्रम में एक करोड़ पौधे लगाए जाने की कार्यक्रम कर रहा है वहीं, दूसरी तरफ इसी सरकार के नियंत्रण वाले वन विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से पेड़ों की कटाई का सिलसिला जारी है, जो बिल्कुल नया नहीं। जंगल से लकड़ी काटकर जंगल के पेड़ों को काटकर सड़कों एवं जलमार्ग से तस्करी की जाती है। आजकल जलमार्गों पर लकड़ी की तस्करी पर कुछ हद तक नियंत्रण हो गया है पंरतु सड़कों पर लकड़ी की तस्करी जोरों पर चल रहा है। हर जगह स्थिति एक जैसी है। जिन पर वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उन्हीं के अदृश्य हाथों से वन क्षेत्र को फिर से नष्ट किया जा रहा है। वनों की कटाई, अवैध तरीकों से रेत पत्थरों की तस्करी हमेशा की तरह जारी है। लखीपुर वन विभाग के अंतर्गत राजस्व की चोरी कर लकड़ी और पत्थर का फल-फूल रहा कारोबार चल रहा है।बीते २९ सितंबर शुक्रवार की रात लखीपुर रेंज के हरिनगर से लकड़ी लदी तीन टाटा डीआई गाड़ियों को तस्करी करते हुए पकड़ा गया था। ए एस 11 सीसी 0639, ए एस 11 ईसी 5501, ए एस 11 बीसी 7141 नंबर की तीन गाड़ियों में लकड़ी लादकर तस्करी की जा रही थी। जयपुर में वन रक्षकों ने बहुमूल्य सुंदी की लकड़ी से भरी गाड़ियों को पकड़ा। जब तीनों कारों के चालक वैध दस्तावेज नहीं दिखा सके, तो लकड़ी के साथ गाड़ियों को लखीपुर स्थित  जीरीघाट वन कार्यालय ले जाया गया। लेकिन यह आश्चर्य स्वाभाविक है कि गोपनीयता क्यों बरती जा रही है, वन कार्यालय में लकड़ी से भरी गाड़ियां रखी जाती हैं, हालांकि इसके पीछे कई जानकारियां छिपी होती हैं। वन कर्मी इस सिलसिले में कुछ बताने से कतरा रहे हैं।कहा जाता है कि लकड़ी को सोने की तस्करी का निशाना बनाया जाता है। एक अन्य सूत्र के मुताबिक, तीनों गाड़ियों के ड्राइवर जयपुर इलाके के हैं और लकड़ी मालिक जयपुर के सुभाषनगर इलाके के हैं। वन संरक्षक के एक अधिकारी ने बताया कि बिना वैध कागजात के तस्करी के लिए ले जा रहे लकड़ी से भरी तीन गाड़ियों को जब्त कर लिया गया है। विभागीय कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जायेगी।

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