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पद्म पुरस्कारों की हुई घोषणा, डॉ. दिलीप महालनाबिस को मरणोपरांत पद्म विभूषण, जबलपुर के डॉ. डावर को पद्मश्री

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पद्म पुरस्कारों की हुई घोषणा, डॉ. दिलीप महालनाबिस को मरणोपरांत पद्म विभूषण, जबलपुर के डॉ. डावर को पद्मश्री
पद्म पुरस्कारों की हुई घोषणा, डॉ. दिलीप महालनाबिस को मरणोपरांत पद्म विभूषण, जबलपुर के डॉ. डावर को पद्मश्री

नई दिल्ली. देश में 74वें गणतंत्र दिवस समारोह के पूर्व भारत सरकार ने बुधवार को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार पाने वाले नामों की घोषणा कर दी है. बता दें कि कुल 26 व्यक्तियों को पद्म विभूषण और पद्मश्री में उनके संबंधित क्षेत्रों में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से किसी एक से सम्मानित किया गया है.

जिन ख्यातिलब्ध मूर्धन्य के नामों की घोषणा की गई है, उनमें जबलपुर के डॉक्टर मुनीश्वर चंदर डावर पिछले 50 वर्षों से वंचित लोगों का इलाज कर रहे हैं, जिन्हें चिकित्सा (सस्ती स्वास्थ्य सेवा) के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.

कोडागु के उम्माथत लोक नर्तक रानी मचैया को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उन्होंने नृत्य के माध्यम से कोडवा संस्कृति को बढ़ावा देने और इसे संरक्षित करने के लिए काम किया.

– कांकेर के गोंड ट्राइबल वुड कार्वर अजय कुमार मंडावी को कला (लकड़ी पर नक्काशी) के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.
– तेलंगाना के 80 वर्षीय भाषा विज्ञान प्रोफेसर बी रामकृष्ण रेड्डी को भी साहित्य और भाषा के  क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.
– जलपाईगुड़ी जिले के तोतोपारा गाँव के धनीराम टोटो को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. डंग्का भाषा के संरक्षक टोटो साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए यह सम्मान दिया गया है.
– मंडी के जैविक किसान नेकराम शर्मा को भी कृषि के क्षेत्र में पद्म श्री सम्मानित किया गया है. उन्होंने नौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने का काम किया.
– आत्मनिर्भर छोटे किसान तुला राम उप्रेती (98 वर्षीय) को  कृषि के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. वह केवल पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके जैविक खेती करते हैं.
– इरुला जनजाति के वडिवेल गोपाल और मासी सदइयां को खतरनाक और जहरीले सांपों को पकडऩे में विशेषज्ञता के लिए सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार सम्मानित किया गया.
– काकीनाडा स्थित सामाजिक कार्यकर्ता शंकुरत्री चंद्र शेखर को सामाजिक कार्य (सस्ती स्वास्थ्य सेवा) के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया. उन्होंने जीवनभर जरूरतमंद लोगों को मुफ्त चिकित्सा और शिक्षा सेवाएं प्रदान कीं.
– गांधीवादी और पैय्यानूर के स्वतंत्रता सेनानी वी पी अप्पुकुट्टन पोडुवलम को सामाजिक कार्य (गांधीवादी) के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
– जनजातीय हो भाषा के विद्वान जनम सिंह सोय को साहित्य और शिक्षा (हो भाषा) के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वह इस भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए 4 दशकों से काम कर रहे हैं.
– नागा सामाजिक कार्यकर्ता रामकुइवांगबे न्यूमे को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. उन्होंने हेराका धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपना जीवन समर्पित किया.
– सिद्दी आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता और नेता हीराबाई लोबी को पद्म  श्री सम्मानित किया गया है, उन्होंने गुजरात के सिद्धी समुदाय की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित किया.
– नॉर्थ सेंटिनल से 48 किमी दूर एक द्वीप में जारवा जनजाति के साथ काम कर रहे अंडमान के सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर रतन चंद्रकर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.  

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