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प्रिवेडिंग शुट भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के लिए उचित नहीं–मदन सुमित्रा सिंघल

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जब कुंए में भांग पङी हो तो भला कौन बचेगा जो कुंए का पानी पीया हो। लेकिन पश्चिमी संस्कृति से मध्यम वर्गीय लोगों को बचना होगा। देश विदेश के धनाड्य खानदान मुकेश नीता अंबानी ने अपने बेटे अनंत  अंबानी बहू राधिका मर्चेंट की प्रिवेडिंग तीन दिवसीय समारोह के साथ जामनगर में मनाई बताया जाता है कि 1400 करोड़ रुपये खर्च करके संपूर्ण विश्व के मित्रों कलाकारों को आमंत्रित किया गया। यह भारत देश में पहली बानगी है। जब शादी होगी तो अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कितने हजार अथवा लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। लेकिन पैसा उनका है तो उनकी इच्छा के अनुसार ही खर्च होंगे। भला इसमें किसी को मीनमेख निकालने की जरूरत ही नहीं है। हर कोई माँ बाप अपने बेटे बेटी की शादी धूमधाम से करना चाहते हैं। लेकिन यदि इतनी बड़ी राशि का सदुपयोग जनकल्याण के लिए किया जाता तो इस महादेश बहुत कुछ किया जा सकता था। फिर भी,,समरथ को नहीं दोष गोसाईं,, प्रिवेडिंग शुट अब छोटे छोटे लोग अपनी हेसियत से बढ़कर शादी के बजट में एक राशि निर्धारित करने के साथ खर्च करते हैं। भारतीय संस्कृति में तो होने वाले पति पत्नी को आपस में मिलने अथवा बातचीत करने तक मनाही है लेकिन संसाधनों के बढने एवं शिक्षित होने के कारण शादी से पहले ही विडियो कालिंग आपस में मिलना जुलना धङल्ले से शुरू हो गया लेकिन प्रिवेडिंग शुट के नाम पर लक्ष्मण रेखा पार होने से ना घर के रहेंगे ना घाट के इसलिए ऐसे अनावश्यक चोंचलेबाजी से जितना बचा जाए वो ही बेहतर होगा।

मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

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