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बलिदानी_माता_पन्नाधाय

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* बनवीर – ये महाराणा सांगा के बड़े भाई उड़न पृथ्वीराज की दासी पूतलदे का बेटा था | बनवीर को महाराणा सांगा ने बदचलनी के सबब से मेवाड़ से निकाल दिया था | मौका देखकर ये फिर मेवाड़ आया |
* 1535 ई. में बनवीर ने चित्तौड़ के कई खास सर्दारों को अपनी तरफ मिलाया और तलवार से महाराणा विक्रमादित्य (18 वर्ष) की हत्या कर दी
* बनवीर ने कुंवर उदयसिंह (14 वर्ष) को मारने के लिए उनके कक्ष में प्रवेश किया
पन्नाधाय ने कुंवर उदयसिंह के वस्त्र अपने पुत्र चन्दन को पहनाकर कुंवर उदयसिंह के स्थान पर लिटा दिया
बनवीर ने चन्दन को ही कुंवर उदयसिंह समझा और पन्नाधाय की आँखों के सामने तलवार से चन्दन के दो टुकड़े कर दिये
पन्नाधाय ने अपने पुत्र चन्दन का बलिदान देकर इतिहास में अद्वितीय उदाहरण पेश किया
* पन्नाधाय बड़े टोकरे में पत्तलों से ढंककर कुंवर उदयसिंह को छुपाकर निकली
यहाँ तक की कहानी तो सभी जानते हैं, अब पन्नाधाय की आगे की कहानी कुछ इस तरह है –
* पन्नाधाय अपने पति सूरजमल के साथ कुंवर उदयसिंह को लेकर देवलिया पहुंची
देवलिया के रावत रायसिंह ने इनकी बड़ी खातिरदारी की, पर जब पन्नाधाय ने कुंवर उदयसिंह को देवलिया में शरण देने की बात कही, तो रावत रायसिंह ने बनवीर के खौफ से ये काम न किया
रावत रायसिंह ने पन्नाधाय को एक घोड़ा देकर विदा किया
* पन्नाधाय कुंवर उदयसिंह को लेकर डूंगरपुर पहुंची
डूंगरपुर के रावल आसकरण ने भी बनवीर के डर से उन्हें शरण नहीं दी
रावल ने उन्हें खर्च व सवारी देकर विदा किया
* आखिरकार पन्नाधाय कुम्भलगढ़ पहुंची, जहाँ उन्हें शरण मिली
कुम्भलगढ़ के किलेदार आशा देपुरा ने अपनी माँ से इजाजत लेने के बाद कुंवर उदयसिंह को अपने यहाँ रखना स्वीकार किया
* पन्नाधाय ने अपना शेष जीवन संभवत: बूंदी में बिताया, परन्तु ये फिर कभी चित्तौड़ नहीं आईं.
*साभार

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